मेहनत ( पर्दे के पीछे(

प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी
फाइनल राउंड
विषय – मेहनत (पर्दे के पीछे)

जो इंसान मेहनत की रोटी कमाता खाता हैं
असल मायने में जिंदगी जीना वही जानता
सुकून हैं कितना मेहनत से कम कर खाने में
मेहनत वालों का ही तो नसीब भी बदलता हैं

मेहनत कर जिंदगी बनाता हैं पिता बच्चों की
उन्हीं बच्चों के लिए खून पसीना भी जलाता
जब सफलता की सीढ़ी को चूमता हैं बच्चा
फिर उस पिता का सीना भी गर्व से हैं फूलता

घरों में काम कर मां पालती हैं अपने लाड़ले को
उसी मेहनत का फल उसे भविष्य में मिलता हैं
बच्चे को बढ़ाने को मां तो गहने भी बेच देती
उस मेहनत का फल उसे सालों बाद मिलता हैं

मेहनती होते जिस घर के सदस्य आजकल शिवोम
उस घर में ही तो बरकत का दिया भी अब जलता हैं
कामचोरी करके जो अब अपनी ज़िंदगी गुजारा करते
उन्हें जीवन में बस ठोकर और धक्का ही तो मिलता हैं

मेहनत की कमाओ मेहनत को अब अपना आदर्श मानो
मेहनत वो चाभी हैं जिससे सफलता का दरवाजा खुलता
शिवोम तो मेहनत करने वालों को असल देवता हैं मानता
मेहनत के पसीने से ही तो बुरे कर्मों का फल भी हैं घटता

कवि भी मेहनत कर अपनी लेखनी को निरंतर हैं निखारता
उसकी हर कविता सबके दिल को छुए ऐसे कलम हैं चलाता
जब शब्द बैठ जाते सटीक और विषय अपने मन का मिलता
इसी मेहनत से ही एक दिन जाकर समाज भी हैं तो बदलता

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय

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