शब्दों की ताक़त :कलम से आवाज़ तक
प्रतियोगिता चरण १
कलम बनाम तलवार
मैं हूँ एक कलम !
कर देती गुलजार किसी,
के शब्दो से उसके सपनो को।
मैं हूँ एक तलवार !
कर देती ढेर मार दुश्मनों को
मै कलम हूँ ,दिशा दिखाती अपने लेखन से ,
मै तलवार ,ना पहचान अपना पराया करती वार अपनो पे भी।
मैं तलवार साक्षी हूँ शौर्य और वीर गाथा की
मैं कलम है साक्षी हूँ भविष्य निर्माण की ।
मैं तलवार रखती ताकत इतिहास लिखने की ।
मैं कलम रखती ताकत इतिहास बदलने की ।
तलवार के घाव दिख सकते लेकिन कलम के घाव ना दिख सकते ना भर सकते
तलवार घरोहर है पुस्तो की कलम धरोहर है पुस्तकों की
कलम एक सम्मान है कवि, अध्यापक के लिए ,
तलवार एक शान और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
गलत हाथ में पड़ जाए तो करती दोनो सर्वनाश,
सही हाथ में हो तो लिख देती इतिहास।
मैं हूँ कवि मेरे लिए मान रखती मेरी कलम,
उनके आगे फीका है वैभव और शान,
क्योकि इसी ने दी मुझे नई पहचान 🙏
किरण बाला
नई दिल्ली