प्रीतियोगिता ३ : चरण फाइनल
विषय : कर्म ही पूजा
कर्म ही पूजा है,
जिसने यह जीवन मैं अपनाया ।
बिना रुके बिना थमे उसने ,
लक्ष्य को पाया ।
बस अपना कर्म करते रहिए,
सत्मार्ग पर चलते रहिए ,
सेहत बनी रहे, मन स्थिर रहे,
यही तो जीवन की सही दिशा है।
जिसने कर्म को ही पूजा माना,
उसे कभी परिणाम सोचना ही नहीं पड़ा।
अनुशासन का यह मार्ग अपनाया,
तो भविष्य में सफलता निश्चित ही मिली।
विद्यार्थी हो या हो व्यवसायी,
जिसने कर्म को आराधना माना,
उसने अपना कल खुद रोशन किया,
मेहनत से हर अंधेरा मिटाया।
कर्म करते हुए आगे बढ़ो,
आज का काम कल पर न टालो।
ईमानदारी से अपना फर्ज निभाओ,
मनमानी से कभी कर्म न बिगाड़ो।
जहाँ कर्म की होती है प्रधानता,
वहाँ अवसर को फल देना पड़ता हैं।
मेहनत कभी बेकार नहीं जाती,
कोशिश करने वालो को जीत मिल ही जाती ।
kiran bala
nai delhi l