*विषय* *कर्म ही पूजा*
कर्म श्रृष्टि का कारक है
कर्म ही कष्ट निवारक है
सफलता मिलती कर्म से ही
केवल कर्म ही आवक है
कर्म है जीवन का हिसाब
कर्म ही है खुली किताब
देखा जाता पुण्य पाप
किसका कितना है खराब
कर्म ही भाग्य विधाता है
कर्म ही धन का दाता है
कर्म से जीवन बनता है
दुष्कर्म इसे मिटाता है
कर्म है विद्या
कर्म ज्ञान है
ये तो ईश्वर का विधान है
तभी तो इस संसार में कहते केवल कर्म प्रधान है
बिना कर्म के जीवन में न बसते कभी भी प्राण है
जीवन अगर है श्वास व्यक्ति की कर्म से इसमें जान है
होती कर्म से जीवन की हर एक मुश्किल आसान है
कर्म ही पूजा कर्म ही श्रद्धा कर्म ही स्वाभिमान है
कर्म से है ज्योति जीवन में
रोटी कर्म से आती है
जो हैं हस्ती बड़ी बड़ी
सत्कर्म से जानी जाती है
न कर्म के आगे जात पात
न ही कोई प्रजाति है
सुख समृद्धि जीवन में
अच्छे कर्मों से आती है
@ Prashant Tiwari