Jyot

कविता प्रतियोगिता : ७
सीरीज:        १
विषय: ज्योत ( परिवर्तन का प्रतीक )
शीर्षक:  रोशनी  की अलख “ज्योत”

मेरे मन के अंधकमल में रोशनी की अलख जगे ,
आत्मज्योति, जीवनज्योति, परमज्योति,
अखंडज्योति सी छवि लगे ।

भारतीय जन मन जीवन व सनातन
धर्म में समझें ज्योत की महत्ता
रोशनी का प्रतीक है जो ,छलकती इसी से भव्यता।

माता रानी की दरबार में दिव्यता की अलौकिक शक्ति
अखंड ज्योत दिखलाती है निश्चल प्रेम और भक्ति ।

अग्नि को ही माना गया है इस ज्योति का केंद्र
संदिप्ति से होता समस्त ब्रह्मांड ज्योतिरेख ज्योतिष्म।

धर्म,दर्शन,भारतीय संस्कृति लिए जो विविध घटकों में
ज्योति ही सत्ता व महत्ता युक्त भाषा विज्ञान और संपूरक
दृष्टिकोण के आयामों में ।

चराचर विश्व को आलोकित करती
प्रातःकाल में सूर्य की ज्योति ,कहलाती है जो दिव्य दिनकर और आदित्य ज्योति ।

दीपावली त्योहार बना रोशनी का प्रधान
दीपमाला से सजता है सारा भारत दिव्यमान।

दीप देह का है प्रतीक ,तेल आत्मा, व चेतना है बाती
आत्मज्ञान ही ज्योति है,जो अज्ञान,
मिथ्याज्ञान को दूर भगाते।

ज्योत की महिमा है अपरिमित व अतिविस्तर्ण
न है कोई भी आयाम अनछुआ इससे मीत ।

तिमिर को दूर भगाए,संसार में तेजस्विता फैलाए
रोशनी की मंगल ज्योत से सकारात्मकता पाएं ।
स्वाति सोनी

स्वाति की कलम से ✍️

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