प्रतियोगिता दिल से दिल तक
इश्क़
न जुल्फों में मुझ को उलझाने की सोच
ग़र इश्क़ है मुझ से निभाने की सोच
न फ़िक्र कर किसी की न ज़माने की सोच
सिर्फ़ मेरे करीब तू आने की सोच
सुकून मेरी जिंदगी में लाने की सोच
मेरे ज़ख्मों पे मरहम लगाने की सोच
मुझ को अब अपना बनाने की सोच
तू मेरे दिल में बस जाने की सोच
बाहों को अपनी फैलाने की सोच
भर मुझे को इनमें सिमट जाने की सोच
शमा ज़रा अपने परवाने की सोच
जान चली न जाए दीवाने की सोच
Prashant Tiwari