सीरीज 1 प्रतियोगिता
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प्रतियोगिता का नाम : दिल से दिल तक
कविता शीर्षक : प्रेम का उजाला
राउंड : एकल
रचयिता : सुनील मौर्या
प्रेम का उजाला
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तेरी मुस्कान से शुरू होती है मेरी हर सुबह,
तेरे संग दिल खिल उठता है गुलाब की तरह।
तेरे पास होने से महक जाती हैं मेरी सांसें,
तेरे संग हर रंग भर जाते हैं मेरी ज़िंदगी में।
तेरे हाथों की पकड़ से मिलता है सहारा,
जैसे लहरों को मिल जाए उनका किनारा।
तेरे आने से जैसे बसंत ऋतु उतर आती है,
मेरे दिल की बगिया में हर कली मुस्काती है।
तेरे साथ ये दुनिया कितनी खूबसूरत दिखती है,
तेरे स्पर्श से मेरी धड़कनों में मिठास भर जाती है।
तेरे संग चलूँ तो रास्ते भी गीत गुनगुनाते हैं,
तेरे संग बैठूँ तो हर पल खास बन जाते हैं।
तेरे स्वर में है जैसे कोई मधुर वीणा का तार,
तेरे संग ही खुल जाते हैं जीवन के हर द्वार।
तेरे नाम से जुड़ी हर याद बनती है बेहद खास,
तेरे संग मिलता है मुझे परम सुख का आभास।
तेरे संग बीते लम्हे, समय से परे हो जाते हैं,
तेरे आलिंगन से मेरे सारे ग़म खो जाते हैं।
मुझमें कुछ भी अधूरा नहीं, जब तू होती है पास,
तेरे संग ही मिलता है मुझे हर मंज़िल का आभास।
तेरे प्रेम ने ही सिखाया, अपनापन क्या होता है,
तेरे साथ ही समझा, सच्चा सुख क्या होता है।
दिल से दिल तक का ये बंधन हमारा अनोखा है,
तेरे संग ही मेरा पूरा संसार सुखद और रोशन है।
— सुनील मौर्या