दिल से दिल तक

प्रतियोगिता- दिल से दिल तक
शीर्षक- प्यार का बंधन

प्यार का बंधन पावन है, जैसे गगन के तारे,
अमर दीप-सा जगमगाता, जीवन पथ उजियारे।

यहाँ न लोभ, न मान-माया, न कोई छल की रेखा,
सत्य-भक्ति के सुर मिल जाते, मधुर भाव की लेखा।

सपनों में भी यह जगता है, जागे दिल के साथ,
सुख-दुख में जो साथ निभाए, वही है सच्चा नाथ।

प्यार का बंधन मजबूत है, पत्थर-सा अडिग,
सागर-सा गहरा, गगन-सा ऊँचा, पर्वत-सा अटल दृग।

फूलों-सा कोमल लगता है, सुगंधित करता जीवन,
काँटों की राहें आसान करे, बन जाए सच्चा सावन।

जब नयन नयन से मिलते हैं, भाषा कुछ न बोले,
फिर भी मन की हर पीड़ा को, प्रेम सहज ही खोले।

बंधन यह विश्वास का है, इसमें नहीं अभिमान,
यह तो त्याग, समर्पण, सेवा, करता प्रेम महान।

जनम-जनम तक यह चलता है, हर जन्मों की थाती,
जैसे राधा संग श्याम का, जैसे सीता संग श्रीराम की।

प्यार का बंधन पावन है, जीवन की पहचान,
इसमें ही सुख, इसमें ही शांति, इसमें ही है सम्मान।

~ *अभय राज*

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