ए आई और इंसानी भावनाएं

प्रतियोगिता – हम चार

विषय – ए आई और इंसानी भावनाएं

ए आई का ज़माना इंसानियत को मार रहा
दिखावे के चक्कर में इंसान खुद से हार रहा
दौर ये कैसा आया हैं कवि भी सारे हैरान हैं
इंसानी मेहनत पर ए आई वाहवाही लूट रहा

कितनी खुश हैं महिलाएं वर्चुअल साड़ी पहन
देखना भविष्य में ए आई साड़ी भी उतार रहा
शिवोम भी हैरान देख आलम आधुनिकता का
कोई इस ए आई से बचाओ ये कवि कह रहा

दौर हमने जिया जब संस्कार हर घर में पलते थे
बड़ों का पैर छू कर निकलते दिल साफ़ होते थे
ए आई होता उस ज़माने में तो वो हार मान लेता
बुजुर्गों के आर्शीवाद से हम फलते और फूलते थे

शक्ति स्वरूपा आर्शीवाद दो ए आई को हराना हैं
इंसान मशीनों से बेहतर हैं दुनिया को दिखाना हैं
देखो अपनी हालत क्यों खुद का कार्टून हो बनाते
जैसा बनाया खुदा ने वो रूप अनमोल खजाना हैं

ए आई को मात देकर अपना हुनर ज़रा तुम दिखाओ
थाम लो पेंसिल ब्रश उससे नायाब तस्वीर तुम बनाओ
कला बहुत हैं मशीनों के अलावा कलम एक प्रमाण हैं
ए आई को दिखा के ठेंगा उसे अब ज़िंदगी से भगाओ

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय
ग्रुप C
✨✨ अल्फ़ाज़ ए सुकून 🌟 ✨

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