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सीरीज 1 कविता प्रतियोगिता 4
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नाम : शब्दों की माला
प्रतियोगिता शीर्षक: आत्मज्ञान
राउंड : एकल
रचयिता : स्वाति सोनी

युगों – युगों से बहती है ,जैसे गंगा की धारा
नव भोर में सबसे पहला चमकता एक सितारा
ऐतिहासिक खोह में खोजे नव परिवर्तन
आत्मसात है आत्मजागृति,जिससे होता मंथन।

निज पर शासन फिर अनुशासन
स्वयं सिद्धि से कर ले तू समर्पण।

अंतर्निहित मन में होता ,जिससे प्रकट भाव
विचारों को उद्वेलित करके , लाए उतार चढ़ाव ।

स्वयं को जानो, फ़िर कुछ ठानों
करके इसको प्रमुख संस्कृति के रीति – रिवाजों
और मूल्यों को अपनालो।

स्वछंद धीमी व क्रमिक ये क्रिया
कहलाती सार्वभौमिक प्रक्रिया।

होता जिससे जनहित में जारी गूढ़ रहस्यों का ज्ञान
तब कहलाता व्यक्ति आत्मीयता में सबसे प्रधान

लौकिक जगत में सर्वसिद्धि दिलवाए
काम,क्रोध, मद, लोभ से मुक्ति करवाए।

आत्मसात है स्वयं की प्राप्ति
आत्मा से जुड़ने की एक शक्ति
जिसको जितना करोगे मनन
उतना ही शांत रहेगा तब मन ।

मनोविज्ञान ने बताए अनेक प्रकार
सभी भगाते दूर विकार।

आत्मसातीकरण को जो अपनाते
अपने व्यवहार को सकुशल निभाते ।

स्वाति सोनी
स्वाति की कलम से ✍️

Updated: September 9, 2025 — 12:13 pm

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