Category: Hindi kavita

भीड़ में रहकर अकेले हैं

*भीड़ में रहकर अकेले हैं* ( आज के समाज और संस्कार पर तंज़) बदल गया दौर देखो अब एक पल में, खूबसूरत लम्हे बीत गए गुज़रे कल में। नानी और दादी का घर बहुत वीरान है, बच्चे और युवा इंटरनेट के लिए कुर्बान हैं। हाथों-हाथ मोबाइल फोन, कैसा मंजर है, जानने वाले हैं बहुत, पर […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – भीड़ के रहकर अकेले हैं फाइनल राउंड पिंजरे में बंद पंछी अब इंसानों पर हंसते हैं खुद को तन्हा कर भीड़ में जबरन घुसते हैं जब धक्का लगता हैं उन्हें जमाने से शिवोम खुद को ही तब पिंजरे में बंद खुद वो करते हैं दावा करते जो जो […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं।

ये नए ज़माने में देखो विभिन्न नए रिश्ते इज़ात हुए हैं, हर रिश्ते में स्वार्थ छिपा है अधूरे सब जज़्बात हुए हैं, कुछ दिन के लिए सावन के मौसम की तरह आते हैं, ऐसे रिश्ते तो केवल स्वार्थ की मिट्टी से आबाद हुए हैं । देखता हूं ऑनलाइन दुनिया में इतने लोगों के मेले हैं, […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – भीड़ में रहकर अकेले हैं भीड़ के सिंधु में डूबा मनुज, फिर भी सूखे तट सा अकेला है, रंग-बिरंगी जगमगाहटों में, नीरवता का कड़वा रेला है, मिलते हैं कितने अपने , पर कोई नहीं अपना होता, हर अनसुलझी मुस्कान के पीछे , एक टूटा सपना होता , विनम्रता […]

भीड़ मे रहकर अकेले हैं

विषय – ‘ भीड़ मे रहकर अकेले हैं ‘ हर ओर बस चेहरे पे चेहरा है, कोई दिल से नहीं सबने मुखौटा पहना है, कंधों की भीड़ मे कोई कंधा अपना नहीं, सबके बीच रहकर भी कोई अपना नहीं है। हर रिश्ते मे अब शर्ते जुड़ी है, बिना मतलब के कोई साथ नहीं है, जो […]

नेता बदलते हैं,नीयत नहीं।

अपने खूबसूरत मुल्क में दंगे देखना गवारा न होता, अगर देश को इन भ्रष्टाचारियों का सहारा न होता। मियां तुम्हारी ही तो देन है ये नापाख पड़ोसी मुल्क, वरना कभी ये *पाकिस्तान* दुश्मन हमारा न होता। सोचता हूं ग़र रहबरों की नीयत तभी से सुधर जाती, तो संपूर्ण विश्व में देश की इज्ज़त का ख़सारा […]

नेता बदलते है, नियत नहीं

विषय – नेता बदलते है, नियत नहीं बेख़ौफ़,आज़ाद मैं अपनी हर बात रखूंगी, झूठ की दीवारों पे अब सच की सौगात रखूंगी, भारत की नारी मैं,अब हर सवाल से दो-चार करूंगी, सिंहासन बैठे राजा बन,उनकी नियत का व्यापार करूंगी। सियासत की गलियों मे जो छल का बाज़ार करते है, हर बार नया चेहरा लाकर खेल […]

नेता बदलते हैं नीयत नहीं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय -नेता बदलते हैं, नीयत नहीं देश बदल रहा है अपना और बदला रंग चुनावों का , किंतु रंग आज भी वही है, झूठे सच्चे दावों का , कुर्सी की वहीं भूख पुरानी, बदला नेता का बाना है बदल गई टोपी और वर्दी, सियासी रंग पुराना है, बड़े बड़े भाषण […]

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं हर पाँच साल में भीड़ जुटी, फिर वही वादों की पोटली खुली। चेहरे बदले, चाल वही थी, नीति-नीति कह, राजनीति चली। हाथ जोड़े, झूठे वादे, भाषणों में फिर उड़ते बादे। “हम लाएंगे परिवर्तन!” का नारा, पर फिर वही पुराना किनारा। कभी धर्म की बात चली, कभी जाति की चाल चली। […]

नेता बदलते हैं नीयत नहीं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – नेता बदलते हैं नीयत नहीं सेमीफाइनल राउंड बदलते हैं लोग बदलती हैं सोच बदलना सबको पड़ता हैं लेकिन हमारे देश में नेता कोई भी हो भ्रष्ट ही वो रहता हैं सफ़ेद पोषक पहन लाल बत्ती में खुद को ख़ुदा हैं मानते असलियत में इनके अंदर लोभ और अत्याचार […]