Category: Hindi kavita

Garibi se bada imaan

प्रतियोगिता “शब्दों की अमृतवाणी ” विषय- “गरीबी से बड़ा ईमान” “फाइनल राउंड ” …………………….. ताकत से नहीं मनोबल से टूटा हूँ, तन से आज भी मजबूत हूँ, मैं परवरिश के धागों में बँधा हूँ, गरीब हूँ चोर नहीं मैं मेहनत, से जीना चाहता हूं ….!!! परवरदीगार तूने मुझे जीवन दिया, मुझे अधूरा बनाकर पूर्ण किया, […]

हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की

*सेकंड राउंड* विषय:- *हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की* जीवन हर मोड़ पर इम्तिहान रखता है, और संघर्ष ही इंसान की पहचान रखता है। बूढ़ा शरीर, काँपते कदम, फिर भी मुस्कुराता, समय की मार झेलकर भी हिम्मत दिखाता। दो हाथ नहीं, पर हौसले परवान हैं, पैरों से चलता ट्रैक्टर, यही उसकी जान है। […]

ज़िंदगी का संघर्ष

विषय: जिंदगी का संघर्ष एक ठेला खींचता इंसान घोड़े नहीं, खुद बन जाता रथवान पसीने से लथपथ पर उसके हाथ में जिंदगी की लगाम, आँखों में बसी अब भी सुबह की शाम…… एक ओर जिसके हाथ नहीं पैरों से सम्भालता टराली की स्टीयरिंग उम्मीदों में है अब भी जान कोई कमज़ोरी नहीं यह अब तुम […]

जिंदगी और उसका सच

प्रतियोगिता:- “शब्दों की अमृतवाणी” विषय:- ” जिंदगी और उसका सच ” जिंदगी आज एक नया मोड़ ले रही है, कहीं पर सर झुका रही है, तो कहीं हाथ जोड़ रही है । कहती है मुझसे बहुत लड़ लिया तूने, कहती है मुझसे बहुत लड़ लिया तूने, संघर्ष करने के लिए अब…     नए नए तोड़ […]

मेहनत की परछाई

विषय- मेहनत की परछाई बढ़े पाँव कमाते रहे धूप में दिन भर, पर उनको न मिला सुकून कभी उम्र भर। बच्चों का पेट ज़िंदगी भर पालते रहे, अंत में वही बच्चे वृद्धाश्रम छोड़ते रहे। फल बेच- बेचकर सड़कों पर चलते रहे, अपनों के सपनों के लिए खुद को भूलते रहे। हाथ न रहे तो पैरों […]

शब्दों की अमृतवाणी

कविता प्रतियोगिता: शब्दों की        अमृतवाणी शीर्षक : जिंदगी एक संघर्ष जिंदगी में अनेक मोड़ आयेंगे कभी धूप तो कभी छांव बनकर हमको बहुत कुछ सिखलाऐंगे । गर जो कठिन परिश्रम का जानेगा मोल वहीं कहलाएगा सबसे अनमोल । पैसे कमाने की खातिर हर कोई उत्सुक रहते हैं कोई अभिलाषा से तो कोई इसे मजबूरी में करते […]

सोच और प्रतिष्ठा

सोच और प्रतिष्ठा सत्तर-अस्सी बरस का बूढ़ा, थका हुआ शरीर, काँपते हुए हाथ, फिर भी मेहनत करता है रोज़, कि परिवार का चूल्हा बुझ न पाए, पेट की आग शांत हो जाए। वहीं कुछ जवान, हड्डियाँ मज़बूत, साँसों में उमंग, पर आदत है सहारे की, दूसरों के कंधों पर जीते हैं और कहते हैं – […]

गांव का वो बचपन

*गांव का वो बचपन*… कच्ची पगडंडियों पर दौड़ता नन्हा सा मेरा साया था मिट्टी की सोंधी खुशबू में बचपन हर पल नहाया था.. खेतों की मेडो पर चुपके से सपनों का रेल चलता हल्की हवा में सरसर करता गेहूं का हर एक बाला झुलता खलिहान में उठती थी जैसे खुशियों की लहर पुरानी बगिया में […]

गाँव के बचपन की यादें

कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक: गाँव के बचपन की यादें रचयिता: सुनील मौर्या प्रस्तावना (Intro) “गाँव सिर्फ़ एक जगह नहीं होता, वह हमारी जड़ों की खुशबू, रिश्तों की ऊष्मा और बचपन की मासूमियत का आँगन होता है। आज मैं आपको उन्हीं सुनहरे दिनों में ले चलती हूँ, जहाँ यादें अब भी साँस लेती हैं…” […]

गांव में बचपन के दिन

कभी अकेले बैठकर बचपन की यादों में जाता हूं, कैसा था मेरा गांव और बचपन आपको बताता हूं। गांव में वो छोटी सी उम्र में निर्वस्त्र दिन भर घूमना, मुफलिसी में मस्त मगन रहना आपको सिखाता हूं। सुबह सुबह उठते ही बच्चों की टोली इकठ्ठा करके, आम के बाग में जाना आम तोड़ना भूल नहीं […]