प्रतियोगिता ~ *शब्दो की अमृतवाणी* ~ *गाँव में बचपन* ~ वो गाँव का घर , वो गाँव में मिट्टी के कच्चे से गलियारे , मिट्टी की सौंधी सुगंध से महकते है बहुत ही प्यारे प्यारे । वो दिनभर की मस्ती , खेत खलिहानों की बस्ती से थक कर चूर हो जाना , दौड़ कर झटपट […]
Category: Hindi kavita
गांव का आसमान
*गांव का आसमान* बहुत कुछ अलग है, ये सब जानते हैं, गांव को हम आज भी सभ्यता मानते हैं। बहुत आगे है शहर, तो क्या शांति नहीं, हर चीज़ वहां यूं भी आसानी से मिलती नहीं। गांव का आसमान सदा निर्मल, साफ है, बच्चों की गलतियों को यहां हर दिल माफ है। शहर में कहां […]
Chaand chandani ka sansaar
प्रतियोगिता- ” शब्दों की अमृत की वाणी” Topic- “चाँद चाँदनी का संसार” चाँद धरती पर आता था , वो भी एक ज़माना था, चांदनी बैठ उसके पास, मुस्काती थी चांद भी थोड़ा शर्म से मुस्का जाता था ….!! चाँदनी कहती थी चांद से, रुक जाओ तुम यहीं जमीं पे, हम बनाएंगे एक आशियाना, यहीं जमीन […]
गांव और बचपन की मासूमियत
प्रतियोगिता ‘शब्दों की अमृतवाणी’ “गाँव और बचपन की मासूमियत” गाँव की गलियों में माटी की खुशबू, साँझ ढले चौपाल पे होती थी गुफ़्तगू, पगडंडियों पर खेलते थे नंगे पाँव, दिल में सदा बसता है अपना गाँव। दोस्तों संग खेलें गिल्ली-डंडा, कभी लुकाछिपी,कभी खो-खो खेल, हंसी के ठहाकों से गूंजता था आँगन, वो दिन थे अच्छे,न […]
क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना
प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी विषय – क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना मां की गोद में लेट मालिश कराना बाबा का गोद में लेके गांव घुमाना पापा का घोड़ा बन खेल दिखाना क्या याद हैं वो……….. मेरे सो जाने के बाद ही मां का सोना छत […]
खोया बचपन ,मिला समाज
प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक – खोया बचपन ,मिला समाज बहुत याद आतीं हैं वो पेड़ों की डाली , जिसने बचपन की यादें अभी तक संभाली, वो ठंडी सी कुल्फ़ी , वो मटके का पानी , वो रातों को चलती थी माँ की कहानी, ना टीवी ना फिल्में ,ना मोबाइल थे हाथ में, मग़र […]
मोबाइल से पहले के बचपन की दुनिया और रिश्ते
कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक : मोबाइल की दुनिया से पहले का बचपन और रिश्ते बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे जब न था कोई मोबाइल ,सभी बस अपनी ही खेल की दुनिया में दीवाने थे । प्रातः जैसे ही सभी विद्यालयों को जाते थे कितने आनंदित होकर वापस लौट आते थे । अपने […]
शब्दों की अमृतवाणी
प्रतियोगिता:- “शब्दों की अमृतवाणी” विषय:- “मेरा गाँव और बचपन के दिन.” ना जिम्मेदारी,ना फर्ज, ना समझदारी, ना कर्ज, फिर भी सब में अपनापन था, कितना खुबसूरत वो बचपन था । ना दिलों का टूटना, ना कोई बैर, ना किसी की फिक्र, ना कोई कैर (परवाह) , ना कभी महसुस हुआ सूनापन था, कितना खुबसूरत वो […]
वो भी बचपन के क्या दिन थे
विषय- वो भी बचपन के क्या दिन थे वो रात जब बिजली न हो तो सबके साथ छत पर गुजारना, हाथ के पंखे से माॅं का बच्चों को प्यार से खुद ही हवा हांकना। वो बचपन की शरारतें जहाँ स्कूल से लौट पार्क में बस जाना, सब बच्चों के संग गिल्ली डंडा खेल कर फिर […]
गाँव का बचपन और उसकी यादें
गाँव का बचपन और उसकी यादें गाँव की पगडंडी पर मिट्टी से सने पाँव, दादी की गोद में सुनाई देती रामायण की छाँव। खेतों में दौड़ते हुए हँसी का जो रंग था, वो अब शहर की गलियों में कहाँ ढूँढा गया संग था। आम के पेड़ पर चढ़कर छुपा लेना खजाना, बरसात में भीगकर मिट्टी […]