Category: Hindi kavita

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

🌸 अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी 🌸 अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी, जिसके सपनों की डोर कट गई। नीड़ जला, शाखें सूनी हैं, हर दिशा की तान लुट गई। जो नभ में नाचती फिरती थी, वो ज़मीन से भी दूर हो गई। फूलों से जिसकी बातें थीं, अब पंखों की थकन बोल गई। वो बोली […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

कविता प्रतियोगिता-काव्य के आदर्श ——————————————— प्रथम चरण शीर्षक: अब यह चिड़िया कहां रहेगी रचयिता: सुनील मौर्या अब यह चिड़िया कहां रहेगी ———————————- तिनका-तिनका जोड़कर जिसने स्वप्नों का नीड़ बुना, अब उसकी शाखा टूट गई, जीवन का जब सुर छिना। हवा सी जो उड़ती थी कभी, अब थमी-थमी सी रहती है, पंखों में है थकान बहुत, […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी (चिड़िया की व्यथा) पेड़ों की शाखें अब कहां बची हैं, हर दिशा में इमारतें ही खड़ी हैं। जिस डाल पर बैठ गुनगुनाती थी, आज वहाँ मशीनें शोर मचाती हैं। नीड़ उसका सपना बन गया, वो कोना भी अब छिन गया। शिकारी छुपकर आते हैं, जालों में सपने फँसाते हैं। ना […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

विषय – ‘अब यह चिड़िया कहां रहेगी’ (प्रथम चरण) टूटी डाली,बिखरा सपना, अश्कों मे डूबा हर अपना, एक कोना था जहाँ बसी थी, अब वो साँसें कहाँ रहेंगी? घोंसला उसका छिन गया है, हर आश्रय से बिछड़ गया है, किससे पूछे,कहाँ बसेगी? अब ये चिड़िया कहाँ रहेगी? ये देख हर चेहरा बेखबर है, इंसानियत के […]

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कविता प्रतियोगिता: काव्य के आदर्श शीर्षक : “अब यह चिड़िया कहां रहेगी ” जीवन के नव प्रभात में आती, सांझ भए तो ये उड़ जाती अपनी चूं – चूं की ध्वनि से ,सवेरे सभी को ये जगाती इस उन्मुक्त गगन में उड़ती, चहचहाती नटखट सी चिड़िया रानी, मांगे केवल मुक्त स्थान और अल्प ही दाना- […]

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी उस टूटी डाल का अब आसरा रहा कहाँ कोई, पंख तो है मगर उड़ने का रास्ता दिखाता कोई। नीड़ जो था कभी सपनों का, अब खंडहर हो गया, जहाँ जीवन गाता था गीत, वहाँ सन्नाटा खो गया। वो शाखें भी अब पराई सी लगती हैं उसे, हर पेड़, हर बगिया […]

अब यह चिड़ियां कहाँ रहेगी

*अब यह चिड़ियां कहाँ रहेगी* न पेड़ बचा, न कोई बचा एक भी वन, लोग लगा रहे हैं घर में कृत्रिम उपवन। दिल नहीं शांत, और दिमाग चाहे पैसा, घोंसले उजाड़, पिंजरे में दिया जीवन। कहाँ गई वो मैना और चहचहाती गौरैया, जिसे सुनकर तो हल्का होता था मन। देख ये दुर्दशा, जीव-जंतु हैं बहुत […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श विषय – अब यह चिड़िया कहां रहेगी आंधी तुफ़ा अब सब सह लेगी पंखों को और मज़बूत कर लेगी लेकिन जब क्रूरता हद पार करेगी तब चिड़िया की अश्रु धार बहेगी घोंसला अब बच्चे कहा पहचानते चिड़ियों की ची-ची स्वप्न हैं मानते उनके सामने ही जब पेड़ कटेगा वहीं बच्चा […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं

*भीड़ में रहकर अकेले हैं* ( आज के समाज और संस्कार पर तंज़) बदल गया दौर देखो अब एक पल में, खूबसूरत लम्हे बीत गए गुज़रे कल में। नानी और दादी का घर बहुत वीरान है, बच्चे और युवा इंटरनेट के लिए कुर्बान हैं। हाथों-हाथ मोबाइल फोन, कैसा मंजर है, जानने वाले हैं बहुत, पर […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – भीड़ के रहकर अकेले हैं फाइनल राउंड पिंजरे में बंद पंछी अब इंसानों पर हंसते हैं खुद को तन्हा कर भीड़ में जबरन घुसते हैं जब धक्का लगता हैं उन्हें जमाने से शिवोम खुद को ही तब पिंजरे में बंद खुद वो करते हैं दावा करते जो जो […]