मोहब्बत का लॉगआउट कभी इश्क़ था इबादत, सुकून की एक दुआ, अब DP बदलना और स्टोरी डालना ही बन गया रिवाज हुआ। पलकों में सपनों का संसार अब किताबों में नहीं, बस इंस्टा रील्स में बचा है इश्क़, पर वो भी झूठी ही सही। कभी इंतज़ार की घड़ियाँ दिलों को धड़काती थीं, चिट्ठियों की ख़ुशबू […]
Category: Hindi kavita
मोहब्बत का लाॅगआउट
*मोहब्बत का लाॅगआउट* मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ में बसती थी, अब स्टिकर और रील में सजीव होती है। पहले जज़्बात चुपके से दिल में उतरते थे, अब सीन और टाइपिंग… में ज़िन्दगी कटती है। कभी एक मुस्कान, पूरे दिन की राहत थी, अब लास्ट एक्टिव देख, बेचैनी की आदत सी। जिसे चाहा था रूह से — […]
मोहब्बत का लॉगआउट
मोहब्बत का लॉगआउट आधुनिकता प्रेम में भी दिखने लगी हैं अब स्टेट्स और फोटोज से यहां इजहार होता हैं रिश्ते भी डिटर्जेंट साबुन से हो गए हैं शिवोम बहुत जल्द ही मोहब्बत में लॉगआउट होता हैं दिल में जगह नहीं बस जिस्म ही हावी होता है प्रेमी मंदिरों में नहीं होटलों के कमरों में दिखता […]
मोहब्बत का लॉगआउट
” मोहब्बत का लॉगआउट ” सर पर एक बोझ हो गया है, रूहानी इश्क़ जैसे खो गया है… मैं सवाल का जबाब ढूढ़ता हूँ, क्या इश्क़ भी दिखावा हो गया है… .. हर कोने मे एक बीमार हो गया है, इश्क़ इश्क़ नहीं बबाल हो गया है… हीर रांझे का ये हाल हो गाया है, […]
मोहब्बत का राग आउट
*मोहब्बत का लॉगआउट* मोहब्बत का लॉगआउट कर दिया आज, जिससे जुड़ी थी रूह… उसे अलविदा कहा आज। न इमोज़ी, न टेक्स्ट, न कोई कॉल, बस दिल के नेटवर्क से हट गया वो हाल। जिसे बचाकर रखा हर टूट से मैंने, वो ही छोड़ गया मुझे भीड़ के इस कोने में। जो हर रोज़ मेरी सुबह […]
मोहब्बत का लॉगआउट
*मोहब्बत का लॉगआउट* पहले कोई पसंद आए, फिर आए नज़दीक, उसके होने से अच्छा लगे ,और तो सब ठीक। ये मोहब्बत भी एक बुख़ार है, यक़ीन करो, उसके मैसेजेस को हर हाल में “सीन” करो। प्यार में आजकल तो ये तकनीक हावी है, कबूतर की जगह फेसबुक ही काफ़ी है। इंस्टाग्राम पर रील्स और स्टोरी […]
हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली
“हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली” दिल है ये हिंदुस्तान का, नाम है इसका दिल्ली, हर कोना इसकी रूह में समाई कोई गहरी यादों की सिल्ली। राजाओं की रजधानी थी, बादशाहों की ये शान, जहाँ क़ुतुब की मीनारें गातीं वीरों की पहचान। कभी धूप में लाल किला, कभी छांव में जामा मस्जिद, कभी अक्षरधाम की लौ […]
Jaliyavala bag hatyakand
जब बाग में खून बरसा था…जलियांवाला चैत की दोपहर थी, उम्मीदें जवाँ थीं, धरती की छाती पर आज़ादी की दुआ थी। पर नफ़रत की नज़र ने जो बारूद बोया, जलियांवाले बाग़ में, वही मौत का साया था। ना तलवार थी, ना कोई बगावत, बस हाथों में तिरंगे की मासूम सी चाहत। माँओं की गोद, बच्चों […]
मै इंडिया गेट हूँ..
मैं इंडिया गेट हूं… मैं खड़ा हूं चुपचाप, पर मेरा हर पत्थर बोलता है, हर नाम जो मुझ पर उकेरा है, वो शहीदों की रूह टटोलता है। ना मुझे नींद आती है, ना कोई शिकायत है मुझे, मैं तो बस वतन की मिट्टी में अमरता की गवाही हूं। सांवली रातों में जब रौशनी तिरंगे की […]
हड़प्पा सभ्यता इतिहास कि एक मूक पुकार
“हड़प्पा सभ्यता – इतिहास की मूक पुकार” मैं हड़प्पा हूँ… हाँ, वही मिट्टी की दीवारों में बसी खामोशी, वही सभ्यता जिसकी ईंटें अब भी इतिहास को चुपचाप कहती हैं। मैं था जब न राजा थे, न सेनाएँ, फिर भी हर गलियों में अनुशासन था, हर मोड़ पर संस्कृति मुस्कुराती थी। न कोई स्वर्ण सिंहासन, न […]