आग की तरह जलते सपने सपने… जिन्हें हमने अनगिनत रातों में सजाया, जिन पर हमने अपनी उम्मीदों का आंच दिया। वो सपने अब आग की तरह जलते हैं, हवा से नहीं, अपने इरादों की ताक़त से। हर जख्म, हर ठोकर ने उन्हें और भी प्रज्वलित किया, हर असफलता ने उन्हें और भी बुलंद बनाया। अब […]
Category: Hindi kavita
डिजिटल भारत : पक्ष और विपक्ष
जमाना बदलता निरंतर और निरंतर बदलता ये भारत कहीं स्वच्छता ही सेवा तो कहीं बेटी पढ़ाओ की इमारत मजबूत इरादों की बुनियाद लाये हर चेहरे पे मुस्कुराहट आओ चलो मिलकर बनायें हम भारत को डिजिटल भारत सेवाओं के प्रचार से तरक्की की एक नई राह मिली नये कल के निर्माण की खातिर प्रगति की नई […]
समय की परछाइयां
प्रतियोगिता -(4) एकल राउंड ( शब्दों की माला ) विषय – ” समय की परछाइयां ” समय के साथ चलो या समय के आगे-पीछे समय हमेशा ही अपनी ओर हमें रहता खींचे इस धारा में हमें चाहे-अनचाहे बहते रहना है अपना मोल कितना है समय से कहना है ।। इसकी परछाई हर काम में दिख […]
Aatmsat
सीरीज 1 कविता प्रतियोगिता 4 —————————— नाम : शब्दों की माला प्रतियोगिता शीर्षक: आत्मज्ञान राउंड : एकल रचयिता : स्वाति सोनी युगों – युगों से बहती है ,जैसे गंगा की धारा नव भोर में सबसे पहला चमकता एक सितारा ऐतिहासिक खोह में खोजे नव परिवर्तन आत्मसात है आत्मजागृति,जिससे होता मंथन। निज पर शासन फिर अनुशासन […]
समय की परछाइयाँ
सीरीज 1 प्रतियोगिता 4 —————————— नाम : शब्दों की माला प्रतियोगिता टॉपिक : समय की परछाइयाँ राउंड : एकल रचयिता : सुनील मौर्या समय की परछाइयाँ ————————- कितना भी तुम कहीं भाग लो, ये परछाइयाँ साथ चलती हैं। वक्त की रेत पर लिखी लकीरें, इंसान को जीना सिखा देती हैं। कभी धूप बनकर चुभती है, […]
Samay ki parchaiya
सीरीज वन प्रतियोगिता 4 नाम. “शब्दों की माला” टॉपिक. “समय की परछाइयां ……………………………….. चुपके चुपके कोई बोला था, मैंने कान लगाकर सुना था, हौले से एक आवाज़ थी आयीं, भीतर की थी वो एक गहराई , बोली सुन मैं तो हूँ तेरी परछाई, मैंने उसकी आवाज़ थी दबायी, फिर एक रोज़ वो मेरे तकिये पर […]
Prakrati humse naraz hai
विषय : प्रकृति हमसे नाराज़ है । शब्दों की माला : एकल राउंड जिसे कहा माँ उसकी ये दुर्दशा – कि, अपनी खुद कहानी लिखी व्यथा की, प्रकृति की पूजन का संदेश तो “श्री कृष्ण “ ने भी बतलाया, पूजा था गोवर्धन को— मान उसने भी पाया, फिर हम मनुष्य क्या प्रभु से भी ऊपर […]
सांस लेती जिंदा लाश
सांस लेती जिंदा लाश कभी धड़कते थे अरमान उसके सीने में, अब बस खामोशी का बसेरा है उसके चेहरे में। सपनों की वो मिठास, उम्मीदों की वो रोशनी, सब कहीं खो गई, पीछे छूट गई बस एक वीरानी। हर सुबह उठती है, पर आंखों में उजाले नहीं, हर शाम ढलती है, पर मुस्कान की चमक […]
राष्ट्र प्रथम
प्रतियोगिता – (जयघोष) फाइनल राउंड विषय -” राष्ट्र प्रथम ” छाएगा जब-जब देश पर संकट गहन चुनाव रहेगा हमारा केवल ‘राष्ट्र प्रथम ‘ इस पर क्या सोचना क्या विचार करना दिल देता गवाही हमेशा राष्ट्र के हैं हम ।। यह बात नहीं है उड़ती-उड़ती हवाओं की यह बात है धरातल से जुड़ें फिज़ाओं की अगर […]
कर्म ही पूजा
कर्म ही पूजा कर्म के बिना कुछ हासिल नहीं कर्म ही पूजा है मार्ग कोई दूजा नहीं जो बोया उसी का फल मिलता है भाग्य अकेला विकल्प नहीं कर गुजरने की जो ठान लेते है इससे बड़ा कोई संकल्प नहीं सत्कर्म से मिलता है सुकून मन की शांति से बड़ा कोई गन्तव्य नहीं किया जाता […]
