मैं ही परिवर्तन सन्नाटे में जो पहली पुकार गूँजती है, वो मेरी ही आवाज़ होती है। भीड़ में जो अकेला खड़ा दिखता है, वो मैं ही हूँ, जो रास्ता बदलता है। लोग कहते हैं – वक़्त बदलता है, पर सच्चाई ये है कि बदलता तो इंसान है। और जब इंसान बदलता है, तभी वक़्त की […]
Category: Hindi Shayari
शब्दों से बदलाव
शब्दों से बदलाव शब्द… ये छोटे-छोटे अक्षर ही तो हैं, पर इनसे पूरी दुनिया का चेहरा बदल जाता है। एक शब्द से जंग छिड़ जाती है, और एक शब्द से अमन का रास्ता बन जाता है। एक शब्द किसी को तोड़ देता है, और वही शब्द किसी को जीने की वजह बना देता है। समाज […]
कलम बनाम तलवार
कलम बनाम तलवार तलवार कहती है – मैं लहू से इतिहास लिखती हूँ, मेरे वार से साम्राज्य झुकते हैं, सत्ता मेरे साये में पलती है, मेरी धार से डरकर ही राजनैतिक सच मुखर होते हैं। कलम मुस्कुराकर कहती है – तेरे वार से सिर झुक सकते हैं, दिल नहीं… मैं जख़्म नहीं देती, बल्कि मरहम […]
तलवार बनाम कलम
प्रतियोगिता – शब्दों की ताक़त (कलम से आवाज़ तक) प्रथम चरण विषय – कलम बनाम तलवार सुनो कलम मैं तलवार हूं तुमसे तेज चलती हूं योद्धा के हाथ में जाते ही रक्त भी बिखेरती हूं लक्ष्मीबाई ने मुझको अपना साथी था बनाया सदियों से ही मैं तो वीरों के पास ही रहती हूं कितनी शौर्यगाथा […]
मजबूरी
प्रतियोगिता “शब्दों की अमृतवाणी” सीरीज 1, फाइनल राउंड टॉपिक ‘मजबूरी’ __________________________ तपती धूप में, बूढ़ी काया, झुकी पीठ पर जीवन की छाया। जिस उम्र में खुद का बोझ संभाला ना जाए, उसी उम्र में वो औरों का बोझ उठाए। जिन बच्चों का पालन-पोषण वो करता जाय, मुस्कान आती चेहरे पे उसके, अगर वो बच्चे भी […]
हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की
*सेकंड राउंड* विषय:- *हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की* जीवन हर मोड़ पर इम्तिहान रखता है, और संघर्ष ही इंसान की पहचान रखता है। बूढ़ा शरीर, काँपते कदम, फिर भी मुस्कुराता, समय की मार झेलकर भी हिम्मत दिखाता। दो हाथ नहीं, पर हौसले परवान हैं, पैरों से चलता ट्रैक्टर, यही उसकी जान है। […]
सोच और प्रतिष्ठा
सोच और प्रतिष्ठा सत्तर-अस्सी बरस का बूढ़ा, थका हुआ शरीर, काँपते हुए हाथ, फिर भी मेहनत करता है रोज़, कि परिवार का चूल्हा बुझ न पाए, पेट की आग शांत हो जाए। वहीं कुछ जवान, हड्डियाँ मज़बूत, साँसों में उमंग, पर आदत है सहारे की, दूसरों के कंधों पर जीते हैं और कहते हैं – […]
गांव का वो बचपन
*गांव का वो बचपन*… कच्ची पगडंडियों पर दौड़ता नन्हा सा मेरा साया था मिट्टी की सोंधी खुशबू में बचपन हर पल नहाया था.. खेतों की मेडो पर चुपके से सपनों का रेल चलता हल्की हवा में सरसर करता गेहूं का हर एक बाला झुलता खलिहान में उठती थी जैसे खुशियों की लहर पुरानी बगिया में […]
गाँव का बचपन और उसकी यादें
गाँव का बचपन और उसकी यादें गाँव की पगडंडी पर मिट्टी से सने पाँव, दादी की गोद में सुनाई देती रामायण की छाँव। खेतों में दौड़ते हुए हँसी का जो रंग था, वो अब शहर की गलियों में कहाँ ढूँढा गया संग था। आम के पेड़ पर चढ़कर छुपा लेना खजाना, बरसात में भीगकर मिट्टी […]
एक काल्पनिक पत्र महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी के नाम
प्रिय चंद्रशेखर आज़ाद जी, (पंडित चंद्रशेखर तिवारी जी) प्रणाम 🙏🏼 आज आपको यह पत्र लिखते हुए मन बहुत भावुक हो रहा है। लगता है जैसे आप यहीं कहीं पास खड़े हों और अपनी वही चमकती हुई आँखों से देख रहे हों। माथे पर तेज, आँखों में हिम्मत और होंठों पर वो अडिग वचन – “आज़ाद […]
