Category: Hindi Shayari

Jaliyavala bag hatyakand

जब बाग में खून बरसा था…जलियांवाला चैत की दोपहर थी, उम्मीदें जवाँ थीं, धरती की छाती पर आज़ादी की दुआ थी। पर नफ़रत की नज़र ने जो बारूद बोया, जलियांवाले बाग़ में, वही मौत का साया था। ना तलवार थी, ना कोई बगावत, बस हाथों में तिरंगे की मासूम सी चाहत। माँओं की गोद, बच्चों […]

मै इंडिया गेट हूँ..

मैं इंडिया गेट हूं… मैं खड़ा हूं चुपचाप, पर मेरा हर पत्थर बोलता है, हर नाम जो मुझ पर उकेरा है, वो शहीदों की रूह टटोलता है। ना मुझे नींद आती है, ना कोई शिकायत है मुझे, मैं तो बस वतन की मिट्टी में अमरता की गवाही हूं। सांवली रातों में जब रौशनी तिरंगे की […]

भीगी यादों के रंग

भीगी यादों के रंग नीचे गिरे कुछ काग़ज़, कुछ रंगों में डूबे हुए, तो कुछ बारिश की बूँदों से भीगे — जैसे कोई भूली-बिसरी डायरी, जैसे किसी मासूम की अधूरी कविताएँ… हर काग़ज़ का रंग, कोई सपना है जो बचपन में पनपा, किसी ने माँ के आँचल में छुप कर नाव बनाकर पानी में बहाया […]

प्रतियोगिता : आईना की बात “

विषय : खुद से संवाद मेरे घर के आईने में ही मेरा चेहरा दिखता है, बाक़ी बाहर तो लोगों को नकाब ही दिखता है… .. अक्सर तन्हाई में मुझसे बातें करते दिखता है, पूछता है सवाल,लोगों से क्यों उम्मीद रखता है… .. तुझे आता है लिखना, तुझे सब हूबहू दिखता है, इतना हॅसता चेहरा है,और […]

खुद से संवाद

प्रतियोगिता – आईने की बात विषय – खुद से संवाद बसर अपनी जिंदगी तो .. एक उम्र से कर रही हूं।। आज खुद के सामने मैं आईना.. कर रही हूं।। देखूंगी अपने चेहरे को शीशे में बार- बार… मैं अपनी जवानी की यादें ताज़ा कर रही हूं ।। रेशम सी थी जुल्फ़े कभी .. कभी […]

मन:दोस्त या दुश्मन?

मन दोस्त या दुश्मन आओ आज सभी को मन की बात बताते हैं, अवस्था के अनुसार मन की लीलाएं दर्शाते हैं, जैसी उम्र वैसी इच्छाएं होती जाती हैं मन की, आज इसके रूपों को विस्तार से समझाते हैं। बचपन में मन में बहुत सी लालसाएं जागती हैं, ज्ञानेंद्रियां इस मन को विचलित कर भागती हैं, […]

अनहोनी, एक अंदेशा

प्रतियोगिता: “बोलती कलम” Topic “अनहोनी, एक अंदेशा” वो अनहोनी एक अंदेशा थी, जो दिल को हिला दे, पहलगाम की वादियों में खून की धारा बहा दे। शहीदों के परिवार की आँखों में आंसू की धारा बहा दे, अरमानों के बिखरने की दास्तान बना दे। सपनों की सिलवटें मिटी नहीं अब तक, फैसले जो लिए थे, […]

“जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?”

प्रतियोगिता: बोलती कलम विषय : जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार राउंड 3 सवाल एक ही उठता है बार-बार, “जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?” धुआं उड़ाता हर कोना, ये हवा हुई ज़हरीली, फेफड़े झुलसते जाते है अब, सांसें लगती हैं कटीली। पानी में बहता कलुष, नदियों का रोना है, कारखानों के विष से हर कोना सलोना है। कभी […]

कलम की धार, तलवार से तेज़

कलम की धार, तलवार से तेज़ लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात, साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात। कलम की धार की बात ही निराली है, जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है। दिल के शोर का हुंकार है कलम, अपनों के लिए एक पुकार है कलम। इसकी धार से तलवार […]

कलम की धार, तलवार से तेज

कलम की धार, तलवार से तेज होती है, नतमस्तक दुनियां,आवाज गूँज उठती है… इंकलाब की लौ जला,पर्दाफास करती है, चुप रहती है और फिर कत्लेआम करती है… .. कलम गुलाम नहीं, ये तो स्वछंद चलती है, प्रेम रस, विरह रस, कभी विद्रोह करती है… प्रजातंत्र में जान फुक,उसे सशक्त करती है, कलम जबाब मांगती, ये […]