*मोहब्बत का लॉगआउट* पहले कोई पसंद आए, फिर आए नज़दीक, उसके होने से अच्छा लगे ,और तो सब ठीक। ये मोहब्बत भी एक बुख़ार है, यक़ीन करो, उसके मैसेजेस को हर हाल में “सीन” करो। प्यार में आजकल तो ये तकनीक हावी है, कबूतर की जगह फेसबुक ही काफ़ी है। इंस्टाग्राम पर रील्स और स्टोरी […]
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हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली
“हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली” दिल है ये हिंदुस्तान का, नाम है इसका दिल्ली, हर कोना इसकी रूह में समाई कोई गहरी यादों की सिल्ली। राजाओं की रजधानी थी, बादशाहों की ये शान, जहाँ क़ुतुब की मीनारें गातीं वीरों की पहचान। कभी धूप में लाल किला, कभी छांव में जामा मस्जिद, कभी अक्षरधाम की लौ […]
Jaliyavala bag hatyakand
जब बाग में खून बरसा था…जलियांवाला चैत की दोपहर थी, उम्मीदें जवाँ थीं, धरती की छाती पर आज़ादी की दुआ थी। पर नफ़रत की नज़र ने जो बारूद बोया, जलियांवाले बाग़ में, वही मौत का साया था। ना तलवार थी, ना कोई बगावत, बस हाथों में तिरंगे की मासूम सी चाहत। माँओं की गोद, बच्चों […]
मै इंडिया गेट हूँ..
मैं इंडिया गेट हूं… मैं खड़ा हूं चुपचाप, पर मेरा हर पत्थर बोलता है, हर नाम जो मुझ पर उकेरा है, वो शहीदों की रूह टटोलता है। ना मुझे नींद आती है, ना कोई शिकायत है मुझे, मैं तो बस वतन की मिट्टी में अमरता की गवाही हूं। सांवली रातों में जब रौशनी तिरंगे की […]
हड़प्पा सभ्यता इतिहास कि एक मूक पुकार
“हड़प्पा सभ्यता – इतिहास की मूक पुकार” मैं हड़प्पा हूँ… हाँ, वही मिट्टी की दीवारों में बसी खामोशी, वही सभ्यता जिसकी ईंटें अब भी इतिहास को चुपचाप कहती हैं। मैं था जब न राजा थे, न सेनाएँ, फिर भी हर गलियों में अनुशासन था, हर मोड़ पर संस्कृति मुस्कुराती थी। न कोई स्वर्ण सिंहासन, न […]
भीगी यादों के रंग
भीगी यादों के रंग नीचे गिरे कुछ काग़ज़, कुछ रंगों में डूबे हुए, तो कुछ बारिश की बूँदों से भीगे — जैसे कोई भूली-बिसरी डायरी, जैसे किसी मासूम की अधूरी कविताएँ… हर काग़ज़ का रंग, कोई सपना है जो बचपन में पनपा, किसी ने माँ के आँचल में छुप कर नाव बनाकर पानी में बहाया […]
🌧️ “मौसम बदला, पर मन नहीं…”
“मौसम बदला, पर मन नहीं…” सावन आया है फिर से, बूंदें टपक रही हैं छतों से, कहीं भीगती हैं आशाएं, तो कहीं टपकते हैं बस छप्पर। सड़क किनारे बैठा वो बचपन, जिसे ना छत मिली, ना बस्ता, वो आज भी उसी मिट्टी में खेल रहा है, जहाँ कल कीचड़ था, और आज उम्मीदें भीग रही […]
भीगती दुआएँ और सूखे इरादे
भीगती दुआएँ और सूखे इरादे भीगती हैं दुआएँ हर रोज़ बेआवाज़, माँ की आँखों से गिरती एक चुप सी आस। वो मंदिर-मस्जिद में हाथ उठाते हैं सब, पर दिलों में छुपा फिर भी संदेह का अल्पविराम। सूखे हैं इरादे, जो कभी सागर जैसे थे, आज स्वार्थ की धूप में दरारों से भरे हैं। वो जो […]
भीगते जज्बात
शीर्षक: भीगते जज़्बात ✍️ लेखक: ऋषभ तिवारी 🖋️ Pen Name: लफ़्ज़ के दो शब्द
आईना
*आईना सफलता की पूंजी है*:- आईना मेरी पहचान ;कैसे बना?? साल *2013 जून* महीने की बात है!! जिंदगी !! में जहां हर जगह खुद को *आज़मा* लिया था, मैंने! जिंदगी से *अलग सी रहने* लगने का मोड़ आया था?? मैं जो भी *आत्मविश्वास से भरी सुरभि* आज बनी हूं..।। बखुबी में *”आइने से सिखाई”* राह […]