Category: Competition

भीगती दुआएँ और सूखे इरादे

भीगती दुआएँ और सूखे इरादे भीगती हैं दुआएँ हर रोज़ बेआवाज़, माँ की आँखों से गिरती एक चुप सी आस। वो मंदिर-मस्जिद में हाथ उठाते हैं सब, पर दिलों में छुपा फिर भी संदेह का अल्पविराम। सूखे हैं इरादे, जो कभी सागर जैसे थे, आज स्वार्थ की धूप में दरारों से भरे हैं। वो जो […]

आईना

*आईना सफलता की पूंजी है*:- आईना मेरी पहचान ;कैसे बना?? साल *2013 जून* महीने की बात है!! जिंदगी !! में जहां हर जगह खुद को *आज़मा* लिया था, मैंने! जिंदगी से *अलग सी रहने* लगने का मोड़ आया था?? मैं जो भी *आत्मविश्वास से भरी सुरभि* आज बनी हूं..।। बखुबी में *”आइने से सिखाई”* राह […]

आइने

आइने के टुकड़ों में दिखते हैं रूप अनेक कुछ सच्चे कुछ झूठे किस्से है अभेद हर टुकड़ा बताता है अपना स्वरूप कुछ हंसी कुछ वीरानी लिए चेहरे पर लगते है चेहरे अनेक खा कर धोखा मै खुद को न पहचान पाई जब चेहरे पर चेहरा नया चढ़ जाए आइने तो है ऐसा लेकर बैठा रहस्य […]

खुद से संवाद मेरा आईना

प्रतियोगिता : आइने की बात विषय : खुद से संवाद देख कर आईने में खुद को, मैं खुद से मिला करती हूं । कभी ग़म, कभी खुशियां तो कभी उदासी को परखा करती हूं। जब रूठ जाती हूं मैं सबसे तो ,उस आईने से छुपती हूं। लेकिन मेरी हर खुशी में मैं, आईने से बातें […]

खुद से संवाद करना

प्रतियोगिता: आईने की बात टॉपिक: खुद से संवाद खो कर खोखली हक़ीक़त में खुद का साया, अब चाहती हु कुछ वीरान शीशों में खुद को तलाश करना। क्या ये मन हमेशा से ऐसा ही था? अब चाहती हु उस पिछड़े हुए वजूद को याद करना। वो खोया हुआ बचपन, वो बेफिक्र ज़माना, वो नए दोस्त […]

“आईने से एक मुलाक़ात”

“आईने से एक मुलाक़ात” आज फिर देखा मैंने — आईने में एक चेहरा झुका हुआ। होंठ खामोश, आँखें सवालों से भरी, जैसे कुछ कहना चाहता हो… पर कह नहीं पा रहा। मैंने पूछा — “कौन हो तुम?” वो बोला — “मैं वही… जिसे तूने छुपा रखा है। तेरे मुस्कुराते चेहरे के पीछे, तेरी टूटी हुई […]

सबका इंतजार करती मां

प्रतियोगिता – बागवान विषय – सबका इंतजार करती मां सबको भोज खिला कर खुद भूखी सोती मां घर में सब जब सो जाते चुपके से हैं रोती मां बूढ़ी आँखें रास्ता देखें अपने लाल दुलारों का बैठकर दहलीज पर सबका इंतजार करती मां जन्म देने को तुझे प्रसवपीड़ा भी हैं वो उठाती बनाकर आंचल का […]

बदलाव की आंधियां

प्रतियोगिता – बूझो तो जाने विषय – बदलाव की आंधियां *Not for Marking* थामी हैं कलम तो क्रांति भी हमे लानी होगी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ हमे उठानी होगी कलम ही जरिया हैं बदलाव का एक शिवोम बदलाव की आंधियां भी हमे लानी ही होगी धर्म कोई हो साथ मिल देश को आगे बढ़ाना एकता […]

मन दोस्त या दुश्मन

हे मानव! मैं मन बस अपनी ही तुझपे मैं चलाता हूं , लोभ माया सही गलत के पहलू में तुझे फंसाता हूं , मेरी माया हैं बड़ी अनोखी मायाजाल मैं फैलाता हूं , कितने कठिन जतन करता तब मैं मन कहलाता हूं । धन बढ़ते ही तेरे पास, मैं लोभी मन बन जाता हूं , […]