Category: Competition

अनहोनी, इक अंदेशा

प्रतियोगिता ~ बोलती कलम विषय ~ अनहोनी , इक अंदेशा कल नही तो आज होगा , होगा वही जो होना होगा , फल की इच्छा की है तो बीज भी अच्छा बोना होगा , अनहोनी जब होती है, हम निःशब्द और दिमाग शून्य हो जाता है , हमारे सारे कर्मो का परिणाम ही हमारे खाते […]

अनहोनी इक अंदेशा

कभी – कभी कुछ होने से पहले ही हमें पता चल जाता हैं , वक्त भी किसी ना किसी बहाने से हमें अंदेशा दे जाता हैं , किसी भी रूप में आकर हमारे अंतर्मन को हिला जाता हैं , होनी और अनहोनी के मध्य का अंतर हमें बता जाता है । एक बच्ची पूछती हैं […]

अनहोनी,”एक अंदेशा”

फ़ौजी का परिवार। माना देश सर्वोपरि है लेकिन बेटा धर्म निभाओ तुम, कैसा है मेरा बेटा आकर के बात अपनी सुनाओ तुम, मेरे नयन तरस गए हैं तुझे एक नजर देखने के लिए, न हो जाए कोई *अनहोनी* बेटा शक्ल दिखाओ तुम। एक बूढ़ी मां है उसकी इस बात को याद रखना तुम मेरे घर […]

जलवायु परिवर्तन , जिंम्मेदार कौन

प्रतियोगिता – बोलती कलम विषय – जलवायु परिवर्तन ,कौन जिंम्मेदार…. यूँ मौन चुप चाप खड़ी प्रकति कर रही सवाल , हरी भरी थी मैं कभी चारो और था हरा जाल , क्यों की तुमने पेड़ो की कटाई क्यों ये जंगल काटे , सीमेंट कंक्रीट बिछाकर मेरे आँचल मे ये दुःख बांटे । ग्लोबल वार्मिंग के […]

जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार

जलवायु परिवर्तन, कौन ज़िम्मेदार (प्रशांत कुमार शाह) माना युद्ध ज़रूरी है देश के लिए, अपने समाज और परिवेश के लिए। पर क्या इसका दूसरा पक्ष देखा है? बम और गोले ने कब प्रदूषण रोका है? दिवाली पर पटाखे और फुलझड़ी, और लोग जलाएं लंबी वाली लड़ी। पर क्या इसका अंजाम जानते हैं? जलवायु परिवर्तन कहाँ […]

जलवायु परिवर्तन कौन ज़िम्मेदार

कांप रही है अब सारी धरती, देख मनुज की घृणित करनी। मृदा अपरदन को मिला बढ़ावा, क्यों दूषित हो गई सारी पृथ्वी। वन संरक्षण छोड़ के हमने, वृक्षों को क्यों काट दिया। वायु प्रदूषण बढ़ा यूं ऐसे, नगरीकरण जो ठान लिया। और कुकृत्य मानव का , देख गगन भी डोल गया , फैक्ट्री और वाहनो […]

जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार कौन

धीरे धीरे विनाश की ओर , हम कदम बढ़ा रहे हैं, खेलकर प्रकृति से, मौत के और करीब जा रहे हैं, काट दिए सब वन और जंगल, पाट दिए नदी नाले, क्योंकर अपनी ही करनी पर , हम मुस्कुरा रहे हैं, दूषित करते हवा जल को, क्या कहेंगे आने वाले कल को, क्यों आने वाली […]

कलम की धार , तलवार से तेज

प्रतियोगिता ~बोलती कलम “कलम की धार, तलवार से तेज ~ कलम की धार बहुत तेज चलती है , सीधे दिल पर आकर रुकती है , हो जाता है इसका असर बहुत गहरा अंदर से झकझोर कर रख देती है । शब्द कम पड़ते है इसकी तारीफ में , इससे लिखे लफ़्ज़ उतरते है दिल में […]

कलम की जंग तलवार से तेज

प्रतियोगिता ~बोलती कलम “कलम की जंग तलवार से तेज ~ कलम की धार बहुत तेज चलती है , सीधे दिल पर आकर रुकती है , हो जाता है इसका असर बहुत गहरा अंदर से झकझोर कर रख देती है । शब्द कम पड़ते है इसकी तारीफ में , इससे लिखे लफ़्ज़ उतरते है दिल में […]

कलम की धार, तलवार से तेज़

कलम की धार, तलवार से तेज़ लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात, साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात। कलम की धार की बात ही निराली है, जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है। दिल के शोर का हुंकार है कलम, अपनों के लिए एक पुकार है कलम। इसकी धार से तलवार […]