कलम की धार, तलवार से तेज़ लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात, साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात। कलम की धार की बात ही निराली है, जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है। दिल के शोर का हुंकार है कलम, अपनों के लिए एक पुकार है कलम। इसकी धार से तलवार […]
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कलम की धार, तलवार से तेज
विचारों को स्याही और कलम को हथियार बनाया है, तक जाकर ज़िन्दगी का , एक सिरा हाथ आया है, लिखी है मेरी कलम ने खुशियां और दर्द भी लिखा है, झूठ को कुचल कर सच्चाई का हर हर्फ भी लिखा है, है कलम की धार, तलवार से तेज, सच को रख दे चीर के, करे […]
कलम की धार,, तलवार से तेज़
विषय _____कलम की धर,,, तलवार से तेज़ कलम की नोक में जबसे ये धार आई है तेज़ धार की तलवार डगमगाई है सलीका हमको बताया हिसाब करने का हमारे हक में जो होने लगी बुराई है तमाम हटने लगे चार साज़ी से पीछे जब अपने हक में हमने कलम उठाई है जब से समझ आई […]
मै समय से शिकवा नहीं करती
देखो ना माँ! मैं तुम सी हो गई हूँ, रहती थी जो हर वक़्त अल्हड़ सी, अब तुम्हारी तरह गंभीर हो गई हूँ, देखो ना माँ, मै भी तुम सी हो गई हूँ,। छोड़ दिया है बच्चो की तरह ज़िद करना, रात भर जागकर, सुबह देर से उठना, नींद भूल अपनी , जागती आंखों से […]
मैं समय से शिकवा नही करती ,
प्रतियोगिता ~ बोलती कलम विषय ~ मैं समय से शिकवा नही करती , ऐ ज़िंदगी पा लिया है सबकुछ मैंने चाहें था वो प्रतिकूल वक्त मेरा , किया है सामना हर परिस्थितियों का वो समय था बड़ा ही सख्त मेरा । जीवन के सफर में हर पड़ाव की मुश्किलों को हँसकर पार किया , कुछ […]
मैं समय से शिकवा नहीं करता
लेकर जज्बा शिवोम नित आगे बढ़ता चुनौतियों का सामना भी डट के करता दिखाता हैं हिम्मत संघर्ष जारी रखता हा मैं समय से शिकवा नहीं करता…. अंधकार में भी रास्ता हूं मैं ढूंढ लेता दृढ़ संकल्प के साथ आगे हूं बढ़ता परिस्थिति जैसी भी हो मेरे सामने मैं कभी समय से शिकवा नहीं करता… जिंदगी […]
अजनबी अपने ही घर में
विषय – अजनबी अपने ही घर में जाने कहाँ गए वो दिन , जब मकान नही घर होते थे, दिलों में प्रेम था , दिन एक दूसरे के दिल में बसर होते थे, परिवार के सहारे , लोग अपने हर मुकाम तक आ जाते थे, पाकर सहारा एकदूजे का ,हर मंजिल को पा जाते थे, […]
अजनबी अपने ही घर में
अजनबी अपने ही घर में बने बैठे हैं सब फुर्सत नहीं कि अपनों का हाल तक जाने जिसने पाला पोसा अपनी जिंदगी वार दी उसी को अपने घर में अजनबी हैं वो माने साथ बैठ दो पल बिताने की फुर्सत नहीं पैसे को ही अब सबसे बड़ा रिश्ता हैं माने अजनबी हुए जब खुद को […]
अजनबी अपने ही घर मे
अजनबी अपने ही घर मे Ravikant Dushe अजनबी अपने ही घर मे हो गए सारे इल्ज़ाम मेरे ही सर हो गए न रहा कुछ भी अब मेरा यहाँ जबसे वो दिल के मालिक हो गए ये दीवारें जो कभी लगती थी अपनी सब इशारे अब पराये हो गए ये इश्क कर देता हैं बेगाना सबसे […]
बचा लो इंसानियत वरना कुछ न बचेगा
विषय – बचा लो इंसानियत वरना कुछ न बचेगा कोने में पड़ी खाट उस पर बीमार बाप हैं मां फ़ुख रही चूल्हा अंदर करुण विलाप हैं बेटे बहू का चल रहा नित नृत्य का प्रोग्राम हैं देख दशा ऐसी विधाता भी खुद परेशान हैं पोता सोच रहा कि कब ये दुर्व्यवहार मिटेगा प्रभु बचा लो […]