कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक : जिंदगी एक संघर्ष जिंदगी में अनेक मोड़ आयेंगे कभी धूप तो कभी छांव बनकर हमको बहुत कुछ सिखलाऐंगे । गर जो कठिन परिश्रम का जानेगा मोल वहीं कहलाएगा सबसे अनमोल । पैसे कमाने की खातिर हर कोई उत्सुक रहते हैं कोई अभिलाषा से तो कोई इसे मजबूरी में करते […]
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सोच और प्रतिष्ठा
सोच और प्रतिष्ठा सत्तर-अस्सी बरस का बूढ़ा, थका हुआ शरीर, काँपते हुए हाथ, फिर भी मेहनत करता है रोज़, कि परिवार का चूल्हा बुझ न पाए, पेट की आग शांत हो जाए। वहीं कुछ जवान, हड्डियाँ मज़बूत, साँसों में उमंग, पर आदत है सहारे की, दूसरों के कंधों पर जीते हैं और कहते हैं – […]
“बिना स्क्रीन की यादें”
प्रतियोगिता : शब्दों की अमृत वाणी : सफलता की सीढ़ी विषय : “बिना स्क्रीन की यादें” भाषा: हिंदी कविता बचपन की यादों में क्या दिन थे, खुशियों की लहरों संग हसीन थे अपनों का प्यार झलकता था, बिजली गुल हो जाने पर भी संग थे हर लम्हें में जैसे सतरंगी रंग थे.…… वो बारिश में […]
गांव का वो बचपन
*गांव का वो बचपन*… कच्ची पगडंडियों पर दौड़ता नन्हा सा मेरा साया था मिट्टी की सोंधी खुशबू में बचपन हर पल नहाया था.. खेतों की मेडो पर चुपके से सपनों का रेल चलता हल्की हवा में सरसर करता गेहूं का हर एक बाला झुलता खलिहान में उठती थी जैसे खुशियों की लहर पुरानी बगिया में […]
गर्मी की छुट्टियां, नानी का घर
प्रतियोगिता: शब्दों के अमृतवाणी Series 1 टॉपिक “गर्मी की छुट्टियां नानी का घर,” गर्मी की छुट्टियां नानी का घर, सुकून की हवाएं आती, जब सोते थे बाहर। आंगन में बिछी खटिया, खुला आसमान था, टिमटिमाते थे तारे, चाँद स रोशन एक अरमान था। बिजली ना थी, पर दीयों का उजाला, जुगनुओं का नाच, जैसे मनोरंजन […]
गाँव में बचपन
प्रतियोगिता ~ *शब्दो की अमृतवाणी* ~ *गाँव में बचपन* ~ वो गाँव का घर , वो गाँव में मिट्टी के कच्चे से गलियारे , मिट्टी की सौंधी सुगंध से महकते है बहुत ही प्यारे प्यारे । वो दिनभर की मस्ती , खेत खलिहानों की बस्ती से थक कर चूर हो जाना , दौड़ कर झटपट […]
क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना
प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी विषय – क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना मां की गोद में लेट मालिश कराना बाबा का गोद में लेके गांव घुमाना पापा का घोड़ा बन खेल दिखाना क्या याद हैं वो……….. मेरे सो जाने के बाद ही मां का सोना छत […]
मोबाइल से पहले के बचपन की दुनिया और रिश्ते
कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक : मोबाइल की दुनिया से पहले का बचपन और रिश्ते बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे जब न था कोई मोबाइल ,सभी बस अपनी ही खेल की दुनिया में दीवाने थे । प्रातः जैसे ही सभी विद्यालयों को जाते थे कितने आनंदित होकर वापस लौट आते थे । अपने […]
Gauv or bachpan ki yadoin
गाँव और बचपन की यादें कितने सुहाने थे वो बचपन के दिन, गाँव की ठंडी छाँव के दिन। वो गाँव का मौसम सुहाना , वो चाँदनी रात में हवा का लहराना । शाम ढले जब बड़े थे व्यस्त, हम टोली बना रहते मस्त। रेलगाड़ी बनकर दौड़ लगाना, पिट्टू -गर्म पर शोर मचाना। पापड़ वाले की […]
गाँव का बचपन और उसकी यादें
गाँव का बचपन और उसकी यादें गाँव की पगडंडी पर मिट्टी से सने पाँव, दादी की गोद में सुनाई देती रामायण की छाँव। खेतों में दौड़ते हुए हँसी का जो रंग था, वो अब शहर की गलियों में कहाँ ढूँढा गया संग था। आम के पेड़ पर चढ़कर छुपा लेना खजाना, बरसात में भीगकर मिट्टी […]