स्वतंत्रता के स्वर 🇮🇳 (माँ भारती को पत्र) प्रिय माँ भारती, तेरे आँचल की मिट्टी की महक आज भी मेरे रोम-रोम में बसती है, वैसे ही, जैसी उस पावन सुबह में थी, जब मेरे पुरखों ने तेरे आँगन में आज़ादी के दीप अपने रक्त से जलाए थे। तेरे खेतों में पसीने की बूँदें, तेरे आसमान […]
Category: Competition
एक काल्पनिक पत्र महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी के नाम
प्रिय चंद्रशेखर आज़ाद जी, (पंडित चंद्रशेखर तिवारी जी) प्रणाम 🙏🏼 आज आपको यह पत्र लिखते हुए मन बहुत भावुक हो रहा है। लगता है जैसे आप यहीं कहीं पास खड़े हों और अपनी वही चमकती हुई आँखों से देख रहे हों। माथे पर तेज, आँखों में हिम्मत और होंठों पर वो अडिग वचन – “आज़ाद […]
भविष्य का एक नागरिक
भविष्य का एक नागरिक विद्या :-स्वैच्छिक पत्र काल्पनिक पात्र के आधार पर शैली;- प्रिया मेरी आज के दुनिया के लोगों लिए मैं दिखाती हूं आपको अपनी मासूम आंखों से आज की दुनिया का आईना मैं वर्ष 2085 के भविष्य की एक नागरिक को स्वाति मैं मात्र अभी 19 साल की हूं और आज अपनी कॉपी […]
मां भारती
विषय – मां भारती भारत मां लिख रहा हूं एक पत्र तेरे नाम लेके सैनिक का जज्बा कलम थामे हाथ नशा मातृभूमि का हैं दिल में हैं हिंदुस्तान लहराएगा तिरंगा तब बनेगा भारत महान सैनिकों ने भारत मां पर सबकुछ हैं लुटाया उनकी हिम्मत के आगे कोई ना टिक पाया आतंकियों के आका सारे सदमे […]
स्वतंत्रता सेनानी
प्रतियोगिता “स्वतंत्रता स्वर” विषय “कोई स्वतंत्रता सेनानी” Genre पत्र प्रिय बापू, आपको मेरा कोटि-कोटि नमन, मुझे नहीं पता कि यह पत्र मैं गर्व से लिख रही हूँ या शर्म से। शायद दोनों भाव ही मेरे मन में इस समय हैं। आप और आपके जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत का सपना देखा था, क्या […]
माँ भारती के नाम
शीर्षक – माँ भारती के नाम प्रिय माँ भारती, चलो वीरता और साहस लिखते हैं आज हम, लिखते हैं गाथा शहीदों की अपने लहू से हम, ज़ज्बा जिनका कम ना हुआ कभी लड़ते-लड़ते, मर मिटे जो हँसते-हँसते मातृभूमि की बलिवेदी पर। त्याग की बूंदों से सिंचा है आज़ादी का वृक्ष, शौर्य की कहानियाँ हर शाख […]
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें कभी मिट्टी में खुशबू टटोलने की ख्वाहिश थी, कभी माँ के आँचल में छुप जाने की ख्वाहिश थी। कभी किताबों के पन्नों में खो जाने का मन था, कभी प्रेमचंद के गाँव में जीने का सपना बना था। कभी शब्दों से ही भूख मिटाने का इरादा था, कभी आँसू को कविता में बदलने का […]
सखी वो कह कर जाते…
सखी वो कह कर जाते… सखी, वो कह कर जाते, बस एक बार मुड़ कर मुस्कुरा ही जाते। मैंने तो हर बार उन्हें अपनी खामोशी में पुकारा, पर वो हर बार जैसे दूरियों में और खोते गए। ना कोई अलविदा, ना कोई वजह बताई, बस निगाहें झुकी और यादें रह गईं। मैं वहीं बैठी थी […]
वो तोड़ती पत्थर
विषय:- “वो तोड़ती पत्थर” जब बात बच्चों की *परवरिश* पर आ जाती है, तो *अकेली माँ* हर परिस्थिति में ढाल बन जाती है, ना कोई धूप-छांव से उसका वास्ता, ना कोई भूख-प्यास के लिए खुद की चिंता।। छोड़ दिया उस पति ने अपने पत्नी को “*अस्पताल में अकेला*”, क्यों? क्योंकि! जब उसको पता लगा उनकी […]
वो तोड़ती पत्थर
वो तोड़ती पत्थर धूप में तपता बदन, फिर भी छांव की उम्मीद लिए, हर वार हथौड़े का, जैसे किस्मत से जंग किए। कंधे से बंधा बच्चा, कभी हँसे, कभी रो दे, माँ की आँखों में चमक हो, या थकावट का मोड़ ले। ना शिकवा है, ना कोई आह, उसके सपनों में बस है – बच्चों […]