Category: Competition

वो तोड़ती पत्थर

प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श द्वितीय चरण विषय – वो तोड़ती पत्थर वो तोड़ती हैं पत्थर साथ कलेजा भी जलाती हैं एक हाथ मारती चोट एक से स्तनपान कराती हैं स्त्री भी कितनी मजबूती से बनी होती हैं शिवोम स्वावलंबी खुद बन वही बच्चों को भी सिखाती हैं खड़ी दुपहरी में चमकाती हैं वो मेहनत […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

कविता प्रतियोगिता-काव्य के आदर्श ——————————————— प्रथम चरण शीर्षक: अब यह चिड़िया कहां रहेगी रचयिता: सुनील मौर्या अब यह चिड़िया कहां रहेगी ———————————- तिनका-तिनका जोड़कर जिसने स्वप्नों का नीड़ बुना, अब उसकी शाखा टूट गई, जीवन का जब सुर छिना। हवा सी जो उड़ती थी कभी, अब थमी-थमी सी रहती है, पंखों में है थकान बहुत, […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी (चिड़िया की व्यथा) पेड़ों की शाखें अब कहां बची हैं, हर दिशा में इमारतें ही खड़ी हैं। जिस डाल पर बैठ गुनगुनाती थी, आज वहाँ मशीनें शोर मचाती हैं। नीड़ उसका सपना बन गया, वो कोना भी अब छिन गया। शिकारी छुपकर आते हैं, जालों में सपने फँसाते हैं। ना […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श विषय – अब यह चिड़िया कहां रहेगी आंधी तुफ़ा अब सब सह लेगी पंखों को और मज़बूत कर लेगी लेकिन जब क्रूरता हद पार करेगी तब चिड़िया की अश्रु धार बहेगी घोंसला अब बच्चे कहा पहचानते चिड़ियों की ची-ची स्वप्न हैं मानते उनके सामने ही जब पेड़ कटेगा वहीं बच्चा […]

भीड़ में रहकर अकेले हैं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – भीड़ के रहकर अकेले हैं फाइनल राउंड पिंजरे में बंद पंछी अब इंसानों पर हंसते हैं खुद को तन्हा कर भीड़ में जबरन घुसते हैं जब धक्का लगता हैं उन्हें जमाने से शिवोम खुद को ही तब पिंजरे में बंद खुद वो करते हैं दावा करते जो जो […]

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं हर पाँच साल में भीड़ जुटी, फिर वही वादों की पोटली खुली। चेहरे बदले, चाल वही थी, नीति-नीति कह, राजनीति चली। हाथ जोड़े, झूठे वादे, भाषणों में फिर उड़ते बादे। “हम लाएंगे परिवर्तन!” का नारा, पर फिर वही पुराना किनारा। कभी धर्म की बात चली, कभी जाति की चाल चली। […]

नेता बदलते हैं नीयत नहीं

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – नेता बदलते हैं नीयत नहीं सेमीफाइनल राउंड बदलते हैं लोग बदलती हैं सोच बदलना सबको पड़ता हैं लेकिन हमारे देश में नेता कोई भी हो भ्रष्ट ही वो रहता हैं सफ़ेद पोषक पहन लाल बत्ती में खुद को ख़ुदा हैं मानते असलियत में इनके अंदर लोभ और अत्याचार […]

न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज

प्रतियोगिता – तंज की ताकत विषय – न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज द्वितीय चरण समाचार का अब तो पूरा अचार बना दिया न्यूज़ एंकरों ने न्यूज़ को व्यापार बना दिया कहने को ये बनते हैं संवादाता ये शिवोम संवेदना भूले गरीबों का मज़ाक बना दिया डिजीटल मीडिया में केवल दिखावा हैं होता ट्रेंड पर चलने के […]

“न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज़”

“न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज़” कभी अख़बार की सुर्खियों में सच्चाई सांस लेती थी, कभी न्यूज़ चैनल लोगों की आवाज़ बनते थे। आज वो आवाज़ें बिक चुकी हैं, अब खबरों की जगह ड्रामा और हंगामा परोसा जाता है। जो मुद्दे खेतों की मिट्टी और किसानों की मेहनत से उठते थे, अब वो स्टूडियो की गर्म रोशनी […]

Mohabbat ka logout

कविता प्रतियोगिता:   तंज की ताकत शीर्षक :                मोहब्बत का लॉगआउट विधा:                  स्वैच्छिक समीक्षायुक्त हिंदी व मिश्रित मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है लिखे जाते थे खत जहां पहले हृदय की गहराइयों से वहीं वर्तमान में आधुनिक समावेश में खो गई है मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है  । होती थी एक ललक की आकांक्षा जो प्राचीन काल […]