Gauv or bachpan ki yadoin

गाँव और बचपन की यादें

कितने सुहाने थे वो बचपन के दिन,
गाँव की ठंडी छाँव के दिन।
वो गाँव का मौसम सुहाना ,
वो चाँदनी रात में हवा का लहराना ।

शाम ढले जब बड़े थे व्यस्त,
हम टोली बना रहते मस्त।
रेलगाड़ी बनकर दौड़ लगाना,
पिट्टू -गर्म पर शोर मचाना।

पापड़ वाले की पुकार सुनाना,
पालतू संग घंटों खेलना।
कितने हसीन थे गाँव के मौसम,
पापा के संग सैर का आलम।

चाँदनी रात में दादा की कहानी,
जुगनू समझे खिलौना सदा।
बिल्ली की बोली पर हँसते जाना,
सप्तऋषि तारों को जोड़ना सुहाना।

छत पर लेटे पंखा झलना,
अपनों संग घंटों यूँ ही रहना।
कितने प्यारे थे वो बचपन के दिन,
गाँव की गोदी में बीते वो लड़कपन के दिन ।

किरण बाला
नई दिल्ली

Updated: August 20, 2025 — 1:33 am

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