प्रतियोगिता:”हुंकार ”
सीरीज वन प्रतियोगिता:05
टॉपिक: जिंदगी:एक चौपाल
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जिंदगी एक चौपाल है,
जहाँ बिछता हर जाल हैं,
कहीं खुशी कहीं गम समेटे,
नियति ये भी एक कमाल हैं..!!
हर दिन की तरह बिछता
शतरंज कोई जीते कोई हारे,
चौपड़ की बाजी खेलते सभी,
पंडाव,कौरव कोई चाणक्य है..!!
सभी खेले जिंदगी का जुआ,
यहाँ,किसी के कुर्ते पर छींटे
किसी के कुर्ते बेदाग हैं यहीं,
जिंदगी के चौपाल की खास
बात है …!!!
सभी हंसकर मिले तुमसे,
किसी की जेब में खंजर,
किसी की ज़बान तलवार हैं,
रिश्ते बनाकर घायल करें तुमको
ये पंचायत की बात खास हैं..!!
ऊपर वाले ने दिया जीवन,
बुद्धी, विवेक,चातुर्य से सजा
बैठे हम, इसे अपना देश राजा,
भी हम, प्रजा भी हम ,अपनी
नाव के खिवईया हम….!!!
अपनी जिंदगी की चौपाल के
रक्षक हम,अच्छा चुनो या बुरा
लौट वो फिर आयेगा इसी,
दुनिया में सब दिख जाएगा,
जिंदगी की यही चौपाल प्यारे
तुझे सब कुछ सिखाएगा
जीना मरना तुझे याद रह
जाएगा अंत तक काम आयेगा,
रुचिका जैन
अल्फाज़ ए सुकून