Jayghosh ( swaron ka utsav )

सीरीज १
कविता प्रतियोगिता ३
शीर्षक: (कर्म ही पूजा )

भविष्य का जो करे निर्माण
सफलताओं का बने आधार

आत्मज्ञान व आत्ममंथन है जिनसे
वे कर्म ही है पूजा समान ।

जैसी करनी ,वैसी भरनी
लोक हितों में श्रेष्ठ बनेगी
जिसकी जैसे नियति लेखनी।

सत् कर्म के ३ प्रकार
जिनको बतलाती हूं इस प्रकार

शरीर निर्धारण करे जो आत्मा धारण।
स्थिति निर्धारण करे जो स्थिति को प्राप्त ।
और वेदनीय कर्म है सबसे अलौकिक
बना जो आत्मा के अखंड सुख में
विघ्न के निमित्त ।

सभी कर्मों का एक ही लक्ष्य
निष्काम और सही उद्देश्य।

परोपकार, सत्य व दूसरों की सेवा
यही है गीता अनुसार सच्चा मेवा ।

कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण
जो कहलाते इनके दर्पण ।

कार्यों की गुणवत्ता पहचानो
इश्वर से जुड़कर मोक्ष फिर पा लो ।

न हो अपने कर्मों से विमुख
तभी मिलेगा जीवन में सुख ।

श्री कृष्ण ने दिया ये उपदेश
कर्म ही महान व सर्वश्रेष्ठ।

जैसे शिक्षक, चिकित्सक, किसान व कलाकार
सभी निभाते कर्तव्यों के निर्वहन से अपने सिद्ध अवतार ।

सभी का कर्म पूजा कहलाता
और जीवन का ध्येय सिखलाता।

स्वाति सोनी
अंतिम चरण
स्वाति की कलम से ✍️

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