Mohabbat ka logout

कविता प्रतियोगिता:   तंज की ताकत
शीर्षक :                मोहब्बत का लॉगआउट
विधा:                  स्वैच्छिक समीक्षायुक्त हिंदी व मिश्रित

मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है
लिखे जाते थे खत जहां पहले हृदय की गहराइयों से
वहीं वर्तमान में आधुनिक समावेश में खो गई है
मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है  ।

होती थी एक ललक की आकांक्षा जो प्राचीन काल से
इश्क को बयान करने के अनेक इरादों में
अब वहीं बयां दूरभाष और मोबाइल द्वारा होने लगी है
एक संदेश के लिखने और फोन के करने से
समस्त इमोजी व स्टिकर्स के उन
प्रेमयुक्त भावों को प्रकट करने से
आधुनिकता में इनकी अपनी निराली ही छवि हो गई है
मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है ।

हुआ करती थी जो युयुत्सा मिलन की
अब बिना किसी झिझक के वीडियो कॉल के माध्यम से
दूरियों को खत्म करने की अभिलाषा कैसे पूरी हुई है
कम हुई है इंसानों में धीरज और सहनशक्ति की क्षमता
उतावलेपन का जामा पहने अब चिड़चिड़ापन और आक्रोश की भावना
प्रेमयुक्त व्यवहार पर बस हावी हुई है ।
मोहब्बत अब नवीनता युक्त हो गई है ।

प्राचीन मन , शांत चित्त
जाने कितने सुंदर थे वो दिलों के मीत
स्नेह भरे रिश्तों में था कितना माधुर्य का एहसास
न जाने यकायक कैसे परिवर्तित हुआ
ये प्रेम का साज
काश लौट आए वही प्राचीन काल
जहां प्रेम रस अभिव्यक्ति की अनमोल थी बातें
कितनी गहरी सी थी पर ईमानदारी से अब कहते थे ।

मोहब्बत आज  भी पाई जाए
भांति भांति के सोशल ऐप्स पर
विभिन्न विधाओं और अवतारों में
सभी को दर्शाई जाए ,
पहनकर छद्मआवरण इंसानों का
कितनी कृत्रिम रूप में की जाती है
एक ही इंसान की बहुआयामी छवि असत्य बनाकर
ई माध्यमों को बदनाम करके
फिर की जाती है ।

कोरे चेहरों को देखकर
एक पल में मोहब्बत जो करते है
वो कभी नहीं समझ पाए की
लोग ऊपरी छलावा भी तो करते हैं
चेहरा केवल रूप है
अंतर्मन कौन जानेगा
एक बार जो फंस जाएगा इस जाल में
फिर कौन बंदे तुझे निकलेगा ।

छोड़ दो आज ही सत्य प्रेम का वहम
जो काल्पनिक और आधुनिकता में रम गया हो
ईश्वर करे उन पर रहम
मोहब्बत के परिवेश को ऐसे न करो परिवर्तित
जीवन की प्यारी भेंट है ये तो
चलो सभी मिलकर करे ,
प्राचीन भावयुक्त मोहब्बत को संरक्षित।

प्रथम चरण
स्वाति सोनी ✍️
स्वाति की कलम से ✍️

Updated: July 26, 2025 — 3:41 pm

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