Mohobbat ka logout

प्रतियोगिता- तंज की ताकत
मुहब्बत का लागऑउट

नए नए खेल खेलता,
मुहब्बत के दम्भ भरता,
कभी लैला मजनूँ के स्वांग ,
रचता हर रंग से मुझे लुभाता ,
प्रेम के सतरंगी सपने सजाता,
और एक दिन अकेला छोड़कर ,
दूर हो जाता वो असीम प्रेम कहीं ,
खो जाता ……!!!

पीछे पीछे उसके जा कर,
अपना अपमान करा कर,
प्रेम से आहत हो कर शर्म से,
अपना सर्वस्व दावं पर लगाकर,
मन से विचलित हो कर कठोर कदम,
उठाकर खुद को खो दिया जीवन के,
दामन को छोड़ दिया ……!!!!

दोषी कौन है यहाँ!
चिता यहाँ किसने सजाई,
माँ की न पिता की चिंता,
जान जिसने भी गवाइ एक,
आह भी किसी के मुख से निकल,
न पायी प्रेम के खेल ने सर्वस्व,
लूट लिया…!!!!

पत्तों के खेल जैसा प्रेम तुम्हारा,
जिसमें लूट गया माँ पिता का ,
प्रेम भरा संसार यहाँ सारा,
किसने तुमको अधिकार दिया,
दिलों से खेलने का अरमान दिया,
कितनी जाने लेते हो तुम यहाँ,
जो जी रहें हैं क्या उन्हें जिंदा,
समझते हो…….???

बंद करो ये मुहब्बत का लागऑउट ,
रूह से तो अब नहीं वास्ता तुम्हारा,
कहीं दामन भर न जाए आसुओं,
से तुम्हारा……!!!
रुचिका जैन
प्रथम चरण
Alfaaz e sukun

Updated: July 26, 2025 — 1:15 pm

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