हास्य कविता
मुंगेरी लाल के हसीन सपने
एक दिन आई सब पर शामत
या आने वाली थी कयामत
देखा मुंगेरीलाल ने एक सपना
नामुमकिन था जिसका हो सकना
बंबई पहुँचा सपने में
खोया फिर वो अपने मे
सपने उसके राजेश खन्ना
जैसे कोई सेठ धन्ना
फ़टी थी धोती फ़टी लँगोटी
खाने को भी नहीं थी रोटी
सूरत उसकी तबे के जैसी
छोटी आँखे नाक थी मोटी
फ़िर भी बनना चाहता नायक
पर बन बैठा था खलनायक
चाहता था राज बब्बर का,
अभिनय मिल गया गब्बर का
सोचा हीरो बन जाऊंगा
हीरोइन संग गाना गाऊंगा
दीपिका,करीना और विपाषा
मेरी थी बस इतनी आशा
किस्मत को कुछ ओर मंजूर था
मुंगेरी बड़ा मज़बूर था
उम्मीद नहीं हारूंगा
हीरो बनके मानूंगा
फिर…….
बसंती का दृश्य आया
मुंगेरी लाल मुस्कुराया
जैसे ही बसंती पास आई
मुंगेरी की सांसे थम आई
बसंती जोश मे नाच रही थी
मुंगेरी की चाहते जाग रही थी
जैसे ही….
बसंती के साथ मुंगेरी नाचा
गिरा उम्मीदों का ढांचा
टूटी खाट गिरा धड़ाम
मुँह से निकला हाय राम
मुंगेरी नींद से जागा
टूटा सपनो का धागा
हाय!
मुंगेरीलाल लाल के हसीन सपने
कमर तुड़वादी उसकी तुमने
जागृति नागले