प्रतियोगिता तंज़ की ताकत
टॉपिक- न्यूज एंकर बनाम न्यूज
जिंदगी में सब कुछ मिल जाता,
पर सच्ची मुहब्बत नहीं वैसे ही,
ढूँढते रह जाओगे मिलेगी नहीं,
सच्ची पत्रकारिता कहीं ,
घास के ढ़ेर में सुई की तरह,
छुपी बैठीं कहीं……!!!
समाने होते जुर्म को रोको नहीं,
बनाकर वीडियो शेयर करो,
कहीं मोका हाथ से छूटे नहीं,
भरे बाजार जलता हो कोई,
खबर से बढ़कर पहले जान नहीं,
हाथों में कैमरे लेकर जनसाधक,
बने फिरते ये कोई और नहीं,
हमारे तुम्हारें पालें बच्चे यहीं,
मीडिया खबरों का सच्चा धंधा,
करते यहीं…..!!!
मानवता जिनसे रूठ गई हो,
ईश्वर का साथ ये करते नहीं,
जनमानस में इनका कोई नहीं,
भावना से दूर खड़े देखते तमाशा ये,
तभी तो आठ साल की बच्ची हो या,
आडतालीस साल की माता कोई,
अखबारों में देखों या सुनो,
सुबह की खबर कहीं,
शर्म से शर्मिदा होती रोज,
पत्रकारिता के रूप में
इंसानियत मानव धर्म यहीं…!!!
शायद सभी भूल चुके पत्रकारिता,
के सच्चे धर्म को जिसने ज़न ज़न को,
जोड़ा था इसी खबरों ने खबरियों ने,
आजादी का बुलन्द हौसले का रास्ता,
खोला था …..!!!
भूलों मत अपने कर्तव्यों को
साहस,सच्चाई का दामन थाम कर,
निडरता से आगे तुम फिर बढ़ चलो….!!!
रुचिका जैन
दूसरा चरण
Alfaaz e sukun