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कलम की धार तलवार से भी तेज हमें करनी होगी
मिलकर हम कवियों को ही नई क्रांति लिखनी होगी
देश में हो रहे कत्लेआम पे चुप रहे फिर वो कवि कैसा
उठाकर कलम अब हर मुद्दे पे अपनी बात रखनी होगी
दादा हरिओम पवार जैसे कई आदर्श हैं हमारे शिवोम
सीख उन्हीं से हिन्दी साहित्य को नई ऊंचाई देनी होगी
प्रेम दर्द अब लिखूं कैसे जब कश्मीर में नरसंहार हो रहा
हे कवियों हमे कलम की धार तलवार से तेज करनी होगी
आतंकिस्तान उनके आकाओं देखना तमाशा अब हमारा
हर रचना एक तोप होगी हर गज़ल लगेगी बम बरसाना
कलम की ताकत तुम क्या जानो छुप कर वार करने वालों
ये कलम अब तुम्हारी मौत होगी पड़ेगा भी नहीं दफनाना
हैं बहने भी हमारी यहां रानी लक्ष्मीबाई से कुछ कम नहीं
उनका शांत रूप देखकर जो तुम उनको अबला समझे हो
समय बदल गया आतंकियों अब जान गई है वो दहाड़ना
टकराना मत नहीं तो उल्टे मुंह की मार पड़ेगा तुमको खाना
हर मुस्लिम तुम्हारी तरह नहीं आतंक की जात नहीं होती
हम आपस में लड़ेगे नहीं ईद दिवाली यहां साथ हैं होती
भूल जाओ आतंकियों अब हिंदुस्तान की तरफ देखना
यहां कलम ही लिखती हैं सच बेईमानी बेनकाब है होती
छोड़ दो ये रास्ता नहीं हैं इस रास्ते पे तुमको कुछ मिलना
हमेशा मारे जाने का खौफ जिल्लत होना हैं तुमको सहना
हमारी कलम जब अंगार बनेगी फिर पड़ेगा तुमको जलना
फिर तुम अपनी पुस्तो को बताना हिंदुस्तान को बाप कहना
✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय