तलवार बनाम कलम

प्रतियोगिता – शब्दों की ताक़त (कलम से आवाज़ तक) प्रथम चरण विषय – कलम बनाम तलवार सुनो कलम मैं तलवार हूं तुमसे तेज चलती हूं योद्धा के हाथ में जाते ही रक्त भी बिखेरती हूं लक्ष्मीबाई ने मुझको अपना साथी था बनाया सदियों से ही मैं तो वीरों के पास ही रहती हूं कितनी शौर्यगाथा […]

मेहनत ( पर्दे के पीछे(

प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी फाइनल राउंड विषय – मेहनत (पर्दे के पीछे) जो इंसान मेहनत की रोटी कमाता खाता हैं असल मायने में जिंदगी जीना वही जानता सुकून हैं कितना मेहनत से कम कर खाने में मेहनत वालों का ही तो नसीब भी बदलता हैं मेहनत कर जिंदगी बनाता हैं पिता बच्चों की उन्हीं […]

मैं हूं भारतीय मजदूर

चलो आज भारत की अर्थव्यवस्था दिखाता हूं, अपने आप से आप सब को रूबरू करवाता हूं। मैं देखता हूं दुर्दशा अपनों की भी अपने आसपास, क्या कहूं पैसा भगवान है जिससे मैं हार जाता हूं। अपने देश की तरक्की की धुरी मैं मजदूर भी हूं, देखता हूं मुफलिसी अपनी पर बोल नहीं पाता हूं। सरकारी […]

संघर्ष से संकल्प तक

प्रतियोगिता : शब्दों की अमृतवाणी कविता : संघर्ष से संकल्प तक रचयिता : सुनील मौर्या चरण : फाइनल आधारित. : चलचित्र परिचय : ज़िंदगी की असली ताक़त दौलत या शरीर में नहीं, बल्कि उस जज़्बे में है जो हर हालात को जीत में बदल देता है। यही जज़्बा है — संघर्ष से संकल्प तक.. संघर्ष […]

” मेरा गांव मेरा छांव “

प्रतियोगिता- (शब्दों की अमृतवाणी ) विषय – ” मेरा गांव मेरा छांव ” सुन ओ मेरे चंदा मामा आज पहना दो हमें बचपन का जामा हम लौटना चाहते हैं उन्हीं हुड़दंग गलियों में जहां कृत्रिम शोर नहीं प्रकृति का बसता है समां ।। ओह ! छत पर भाई-बहनों के संग चंदा तुझे निहारना फिर अचानक […]

“मेहनत तुम दो फल हम देंगे “

प्रतियोगिता शब्दों की अमृतवाणी विषय – मेहनत तुम दो फल हम देंगे ( ज़िंदगी कह रही ) मेहनत तुम दो फल हम देंगे आगे पीछे की चिंता तुम नहीं हम करेंगे ज़िंदगी कह रही है इंसान तू कर्म तो कर हम और इससे ज़्यादा तुमसे क्या कहेंगे !! अब नहीं सीखा तो कब सीखोगे ? […]

मेहनत और किस्मत

प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी विषय – मेहनत और किस्मत जिम्मेदारी सर पर थी, पर शिकन माथे पे नहीं थी, मजदूर था मजबूरी में, ज़माने की गालियां सही थी, आँखों में उसकी चिंता के, आँसू झलक रहे थे, पेट में दौड़ते चूहें, एक निवाले को तरस रहे थे, सूरज तेज़ बरसा के,उसके धैर्य को परख […]

संघर्ष और जिम्मेदारियों से लिपटी जिंदगी

प्रतियोगिता ‘ शब्दों की अमृतवाणी ‘ विषय – “संघर्ष और जिम्मेदारियों से लिपटी जिंदगी” रात की थकान संग,सुबह नई जंग होती है, हर साँस में एक अधूरी उमंग होती है, कंधों पर बोझ,सपनों का कहीं गुम हो जाना, मुस्कुराकर दर्द छिपाना ही रोज़ का तराना। हर क़दम पे ठोकर,हर मोड़ पर इम्तिहान, फ़िर भी आशाओं […]

मेरा बाप मजदूर है

*मेरा बाप मजदूर है* ( इस कविता को इस तरह पढ़े कि मानो कोई चलचित्र आंखों के सामने हो !!) कभी खींचता रिक्शा, तो कभी ठेला, कभी जाता बाज़ार, कभी कोई मेला। जेब में पैसे नहीं, फिर भी जीता है, खून जलाकर पसीना रोज़ पीता है। कभी बना वो कुली, कभी दरबारी, पर हिम्मत देखो […]

जीवन का संघर्ष और मज़दूर

प्रतियोगिया ~ *शब्दो की अमृतवाणी* *जीवन का संघर्ष और मज़दूर*~ उम्र को मात देता सूरज का साथ देता चल पड़ा वो रोजी को , बच्चों का भूख से बिलखता चेहरा लिए आंखों में निकल पड़ा वो रोटी को । वजन ढोना मजबूरी है , मंजिल से अभी बहुत दूरी है , क़दम रोज़ उसका साथ […]