गांव का वो बचपन

*गांव का वो बचपन*… कच्ची पगडंडियों पर दौड़ता नन्हा सा मेरा साया था मिट्टी की सोंधी खुशबू में बचपन हर पल नहाया था.. खेतों की मेडो पर चुपके से सपनों का रेल चलता हल्की हवा में सरसर करता गेहूं का हर एक बाला झुलता खलिहान में उठती थी जैसे खुशियों की लहर पुरानी बगिया में […]

गाँव के बचपन की यादें

कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक: गाँव के बचपन की यादें रचयिता: सुनील मौर्या प्रस्तावना (Intro) “गाँव सिर्फ़ एक जगह नहीं होता, वह हमारी जड़ों की खुशबू, रिश्तों की ऊष्मा और बचपन की मासूमियत का आँगन होता है। आज मैं आपको उन्हीं सुनहरे दिनों में ले चलती हूँ, जहाँ यादें अब भी साँस लेती हैं…” […]

गर्मी की छुट्टियां, नानी का घर

प्रतियोगिता: शब्दों के अमृतवाणी Series 1 टॉपिक “गर्मी की छुट्टियां नानी का घर,” गर्मी की छुट्टियां नानी का घर, सुकून की हवाएं आती, जब सोते थे बाहर। आंगन में बिछी खटिया, खुला आसमान था, टिमटिमाते थे तारे, चाँद स रोशन एक अरमान था। बिजली ना थी, पर दीयों का उजाला, जुगनुओं का नाच, जैसे मनोरंजन […]

गांव में बचपन के दिन

कभी अकेले बैठकर बचपन की यादों में जाता हूं, कैसा था मेरा गांव और बचपन आपको बताता हूं। गांव में वो छोटी सी उम्र में निर्वस्त्र दिन भर घूमना, मुफलिसी में मस्त मगन रहना आपको सिखाता हूं। सुबह सुबह उठते ही बच्चों की टोली इकठ्ठा करके, आम के बाग में जाना आम तोड़ना भूल नहीं […]

गाँव में बचपन

प्रतियोगिता ~ *शब्दो की अमृतवाणी* ~ *गाँव में बचपन* ~ वो गाँव का घर , वो गाँव में मिट्टी के कच्चे से गलियारे , मिट्टी की सौंधी सुगंध से महकते है बहुत ही प्यारे प्यारे । वो दिनभर की मस्ती , खेत खलिहानों की बस्ती से थक कर चूर हो जाना , दौड़ कर झटपट […]

गांव का आसमान

*गांव का आसमान* बहुत कुछ अलग है, ये सब जानते हैं, गांव को हम आज भी सभ्यता मानते हैं। बहुत आगे है शहर, तो क्या शांति नहीं, हर चीज़ वहां यूं भी आसानी से मिलती नहीं। गांव का आसमान सदा निर्मल, साफ है, बच्चों की गलतियों को यहां हर दिल माफ है। शहर में कहां […]

Chaand chandani ka sansaar

प्रतियोगिता- ” शब्दों की अमृत की वाणी” Topic- “चाँद चाँदनी का संसार” चाँद धरती पर आता था , वो भी एक ज़माना था, चांदनी बैठ उसके पास, मुस्काती थी चांद भी थोड़ा शर्म से मुस्का जाता था ….!! चाँदनी कहती थी चांद से, रुक जाओ तुम यहीं जमीं पे, हम बनाएंगे एक आशियाना, यहीं जमीन […]

गांव और बचपन की मासूमियत

प्रतियोगिता ‘शब्दों की अमृतवाणी’ “गाँव और बचपन की मासूमियत” गाँव की गलियों में माटी की खुशबू, साँझ ढले चौपाल पे होती थी गुफ़्तगू, पगडंडियों पर खेलते थे नंगे पाँव, दिल में सदा बसता है अपना गाँव। दोस्तों संग खेलें गिल्ली-डंडा, कभी लुकाछिपी,कभी खो-खो खेल, हंसी के ठहाकों से गूंजता था आँगन, वो दिन थे अच्छे,न […]

क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना

प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी विषय – क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना क्या याद हैं वो बचपन का ज़माना मां की गोद में लेट मालिश कराना बाबा का गोद में लेके गांव घुमाना पापा का घोड़ा बन खेल दिखाना क्या याद हैं वो……….. मेरे सो जाने के बाद ही मां का सोना छत […]

खोया बचपन ,मिला समाज

प्रतियोगिता – शब्दों की अमृतवाणी शीर्षक – खोया बचपन ,मिला समाज बहुत याद आतीं हैं वो पेड़ों की डाली , जिसने बचपन की यादें अभी तक संभाली, वो ठंडी सी कुल्फ़ी , वो मटके का पानी , वो रातों को चलती थी माँ की कहानी, ना टीवी ना फिल्में ,ना मोबाइल थे हाथ में, मग़र […]