मोबाइल से पहले के बचपन की दुनिया और रिश्ते

कविता प्रतियोगिता: शब्दों की        अमृतवाणी शीर्षक : मोबाइल की दुनिया से पहले का बचपन और रिश्ते बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे जब न था कोई मोबाइल ,सभी बस अपनी ही खेल की दुनिया में दीवाने थे । प्रातः जैसे ही सभी विद्यालयों को जाते थे कितने आनंदित होकर वापस लौट आते थे । अपने […]

शब्दों की अमृतवाणी

प्रतियोगिता:- “शब्दों की अमृतवाणी” विषय:- “मेरा गाँव और बचपन के दिन.” ना जिम्मेदारी,ना फर्ज, ना समझदारी, ना कर्ज, फिर भी सब में अपनापन था, कितना खुबसूरत वो बचपन था । ना दिलों का टूटना, ना कोई बैर, ना किसी की फिक्र, ना कोई कैर (परवाह) , ना कभी महसुस हुआ सूनापन था, कितना खुबसूरत वो […]

वो भी बचपन के क्या दिन थे

विषय- वो भी बचपन के क्या दिन थे वो रात जब बिजली न हो तो सबके साथ छत पर गुजारना, हाथ के पंखे से माॅं का बच्चों को प्यार से खुद ही हवा हांकना। वो बचपन की शरारतें जहाँ स्कूल से लौट पार्क में बस जाना, सब बच्चों के संग गिल्ली डंडा खेल कर फिर […]

Gauv or bachpan ki yadoin

गाँव और बचपन की यादें कितने सुहाने थे वो बचपन के दिन, गाँव की ठंडी छाँव के दिन। वो गाँव का मौसम सुहाना , वो चाँदनी रात में हवा का लहराना । शाम ढले जब बड़े थे व्यस्त, हम टोली बना रहते मस्त। रेलगाड़ी बनकर दौड़ लगाना, पिट्टू -गर्म पर शोर मचाना। पापड़ वाले की […]

गाँव का बचपन और उसकी यादें

गाँव का बचपन और उसकी यादें गाँव की पगडंडी पर मिट्टी से सने पाँव, दादी की गोद में सुनाई देती रामायण की छाँव। खेतों में दौड़ते हुए हँसी का जो रंग था, वो अब शहर की गलियों में कहाँ ढूँढा गया संग था। आम के पेड़ पर चढ़कर छुपा लेना खजाना, बरसात में भीगकर मिट्टी […]

माँ भारती

“माँ भारती” मैं भारत माँ की बेटी हूँ, तिरंगा है अभिमान मेरा, आज़ादी का दिन है आज, करते हम सम्मान तेरा। इस मिट्टी में पल कर बड़ी हुई,मिट्टी को लहू से सींचुंगी, गद्दारी करने वालों की जुबान हलक से खींचुंगी। मातृभूमि है शान मेरी, हिन्दुस्तानी पहचान मेरी, मैं मान नही घटने दूंगी, चाहे देनी पड़े […]

स्वतंत्रता के स्वर

प्रतियोगिता : स्वतंत्रता के स्वर (भविष्य के एक नागरिक कों सम्बोधित पत्र है मेरा… भावी नागरिक ये पत्र तुम्हें लिखना बहुत जरूरी हो गया है, आधुनिकता की चकचोद में देश प्रेम अब थोड़ा कम हो रहा है, हर इंसान स्वर्थी बन,दिखावा करने मे लग गया है, स्वतंत्रता पर्व कों बस एक छुट्टी मानने लग गया […]

माँ भारती

“माँ भारती” मैं भारत माँ की बेटी हूँ, तिरंगा है अभिमान मेरा, आज़ादी का दिन है आज, करते हम सम्मान तेरा। इस मिट्टी में पल कर बड़ी हुई,मिट्टी को लहू से सींचुंगी, गद्दारी करने वालों की जुबान हलक से खींचुंगी। वो माँ भारती है शान मेरी, हिन्दुस्तानी पहचान मेरी, मैं मान नही घटने दूंगी, चाहे […]

मां भारती

विषय: माँ भारती माँ भारती की क्या गाथा सुनाऊँ पंख फैला कर उड़ मैं जाऊँ रखूं पाँव जब धरती पर माँ भारती को नमन मैं कर जाऊँ… बड़ी मुश्किल से भारत में मिला जन्म बन जाओ तुम भाग्यशाली , जब निकले यहाँ पर दम हर किसी की आँखें हो जाती नम…. माँ कुछ ऐसी है, […]

स्वतंत्रता के स्वर

स्वतंत्रता के स्वर 🇮🇳 (माँ भारती को पत्र) प्रिय माँ भारती, तेरे आँचल की मिट्टी की महक आज भी मेरे रोम-रोम में बसती है, वैसे ही, जैसी उस पावन सुबह में थी, जब मेरे पुरखों ने तेरे आँगन में आज़ादी के दीप अपने रक्त से जलाए थे। तेरे खेतों में पसीने की बूँदें, तेरे आसमान […]