स्वतंत्रता दिवस विशेष लेखनी प्रतियोगिता विषय:- स्वतंत्रता के स्वर. थीम:- काल्पनिक पत्र आज का भारत… आदरणीय प्रधान मंत्री जी, आज इस पत्र के माध्यम से, मैं आपको भारत कि यात्रा करवाता हूँ । और क्या दर्द और कमजोरी है, इस राज़ से पर्दा मैं हटाता हूँ । है दो रूप भारत के, मैं आज उसका […]
सलाम तिरंगा
बात गर वतन की है तो बस यही पहचान है लहू के एक-एक कतरे में बहता हिन्दुस्तान है कुछ कर गुज़रे कि , जहाँ में हो नाम इसका है अपनी यही ख्वाहिश , दिल में यही अरमान है अपनी माट्टी से उल्फ़त अपने वतन से मोहब्बत है मज़हब हमारा , यही धर्म , यही इमान […]
सलाम तिरंगा
बात गर वतन की है तो बस यही पहचान है लहू के एक-एक कतरे में बहता हिन्दुस्तान है कुछ कर गुज़रे कि , जहाँ में हो नाम इसका है अपनी यही ख्वाहिश , दिल में यही अरमान है अपनी माट्टी से उल्फ़त अपने वतन से मोहब्बत है मज़हब हमारा , यही धर्म , यही इमान […]
स्वतंत्रता सेनानी
प्रतियोगिता “स्वतंत्रता स्वर” विषय “कोई स्वतंत्रता सेनानी” Genre पत्र प्रिय बापू, आपको मेरा कोटि-कोटि नमन, मुझे नहीं पता कि यह पत्र मैं गर्व से लिख रही हूँ या शर्म से। शायद दोनों भाव ही मेरे मन में इस समय हैं। आप और आपके जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत का सपना देखा था, क्या […]
माँ भारती के नाम
शीर्षक – माँ भारती के नाम प्रिय माँ भारती, चलो वीरता और साहस लिखते हैं आज हम, लिखते हैं गाथा शहीदों की अपने लहू से हम, ज़ज्बा जिनका कम ना हुआ कभी लड़ते-लड़ते, मर मिटे जो हँसते-हँसते मातृभूमि की बलिवेदी पर। त्याग की बूंदों से सिंचा है आज़ादी का वृक्ष, शौर्य की कहानियाँ हर शाख […]
माँ भारती के नाम ख़त
माँ भारती, तुम्हें नमन 🙏 मैं तुम्हारे चरणों में शीश झुकाकर प्रणाम करती हूँ। आज मैं तुम्हें देश की वर्तमान परिस्थिति से अवगत कराना चाहती हूँ— देखो, किस प्रकार आज का युवा, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के अद्वितीय बलिदानों को भुलाने पर उतारू है। हमारे युवा स्वतंत्रता सेनानी — चन्द्रशेखर आज़ाद, शहीद भगत सिंह, उधम सिंह, […]
ख़्वाहिशें
प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श विषय – ख़्वाहिशें रचयिता – सुनील मौर्य प्रेरणा – मुंशी प्रेमचंद जी प्रयास – भाषा में गाँव की बोली का उपयोग प्रस्तावना: गाँव की धूल, चूल्हे की आँच, और सपनों की महक —यहीं से जन्म लेती हैं, सच्ची ख़्वाहिशें.. चरण – फाइनल ख़्वाहिशें: मिट्टी में पलते, सपनों की कहानी.. फटे […]
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें कभी मिट्टी में खुशबू टटोलने की ख्वाहिश थी, कभी माँ के आँचल में छुप जाने की ख्वाहिश थी। कभी किताबों के पन्नों में खो जाने का मन था, कभी प्रेमचंद के गाँव में जीने का सपना बना था। कभी शब्दों से ही भूख मिटाने का इरादा था, कभी आँसू को कविता में बदलने का […]
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें कभी मिट्टी में खुशबू टटोलने की ख्वाहिश थी, कभी माँ के आँचल में छुप जाने की ख्वाहिश थी। कभी किताबों के पन्नों में खो जाने का मन था, कभी प्रेमचंद के गाँव में जीने का सपना बना था। कभी शब्दों से ही भूख मिटाने का इरादा था, कभी आँसू को कविता में बदलने का […]
ख़्वाहिशे
प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श विषय – ख्वाहिशें ज़िन्दगी गुज़रती रही और ख़्वाब कुचलते रहे, ख्वाहिशें क्या बदली ,थोड़े हम भी बदलते रहे, क्या बात उन ख़्वाबों की करे, जो दिल मे दफ़न हो गए, वक़्त के थपेड़े ही ,उन ख़्वाबों के कफ़न हो गए, जब ज़िम्मेदारियाँ सर पर पड़ी ,सब ख़्वाब हवा हो गए, […]
