*अनकहा एहसास* गुलाबों सा दिल में बसाया था पर मुरझा गये हो तुम, बातों को हमेशा छुपाया पर समझ न पाये कभी तुम। मंदिरों में साथ दूर से ही मन्नत के धागे बांधे भी थे, एक होने के लिए दुआओं में साथ हमेशा खडे़ थे। मन के कोने में एक झलक तुम्हारी ही बसाई जो […]
Zindagi or tum
जिंदगी और तुम-प्रेम का अन्नत रूप क्या कहु तुम क्या हो मेरे लिए ! तुम धड़कन का संचार हो मेरे जीवन का अरमान हो जो ना बुझे वो प्यास हो तुम हर पल जगती आस हो तुम प्रेम हो , तुम पूजा हो तुम मेरे लिए कोई देवता महान हो .. क्या कहु तुम क्या […]
तेरे साथ
तेरा साथ तेरी धड़कनों से जुड़ी है मेरी हर सांस, तेरी हँसी से खिल उठता है मेरा जहाँ खास। तेरी आँखों की चमक है मेरी रौशनी, तेरे ख्यालों से ही मिलती है ज़िन्दगी। तेरी बातों में छुपा है सुकून का जहाँ, तेरे संग हर लम्हा है इक ख़ूबसूरत दास्तां। तेरी मौजूदगी से महकते हैं सारे […]
हुस्न
हुस्न की तारीफ़ में, न जाने कितनी ग़ज़लों को नाम मिला… लब-ओ-रुख़सार से, नज़्म-ए-जमाल का पैग़ाम मिला… पर्दे में रख्खा उन्हें… मगर रज़ कहाँ रज़ रहा… हर कोचे-कोचे में… उनके जल्वा-ए-गुलफ़ाम मिला… वो दिखती हैं क़यामत… या क़यामत ढलती है उनसे… दीदार-ए-नाज़नीं से… आफ़ताब-ए-गुलिस्ताँ मिला… सौदा-ए-दिल में… आशिक़ नियाज़ बे-ख़ुद-ओ-मस्त हुआ… साक़ी-ए-निगाह से… हर दम […]
ज्योत
प्रतियोगिता – ज्योत विषय – परिवर्तन का प्रतीक मां तेरे दर्शन मात्र से मिटती हैं सारी तकलीफ़ तेरा रूप हैं मनमोहक तू ही हैं शक्ति का प्रतीक तेरी भक्ति से अहंकार भी नष्ट हो जाता हमारा तेरे ही नाम से होती बुराई पर सच्चाई की जीत परिवर्तन का प्रतीक दिखता ज्वाला की ज्योत में वैष्णो […]
ज्योत: परिवर्तन का प्रतीक
ज्योत: परिवर्तन का प्रतीक अँधेरों में जब राहें गुम हो जाती हैं, तो एक छोटी-सी ज्योत भी दिशा दिखा जाती है। यह सिर्फ़ रोशनी नहीं, आशा की किरण है, जो कहती है— हर अंधकार का अंत निश्चित है। ज्योत जलती है तो स्वयं को मिटाती है, पर अपने चारों ओर उजियारा फैलाती है। सिखाती है— […]
Jyot
कविता प्रतियोगिता : ७ सीरीज: १ विषय: ज्योत ( परिवर्तन का प्रतीक ) शीर्षक: रोशनी की अलख “ज्योत” मेरे मन के अंधकमल में रोशनी की अलख जगे , आत्मज्योति, जीवनज्योति, परमज्योति, अखंडज्योति सी छवि लगे । भारतीय जन मन जीवन व सनातन धर्म में समझें ज्योत की महत्ता रोशनी का प्रतीक है जो ,छलकती इसी से भव्यता। माता […]
Mungeri lal ke haseen sapne
हास्य कविता मुंगेरी लाल के हसीन सपने एक दिन आई सब पर शामत या आने वाली थी कयामत देखा मुंगेरीलाल ने एक सपना नामुमकिन था जिसका हो सकना बंबई पहुँचा सपने में खोया फिर वो अपने मे सपने उसके राजेश खन्ना जैसे कोई सेठ धन्ना फ़टी थी धोती फ़टी लँगोटी खाने को भी नहीं थी […]
आग की तरह जलते सपने
कविता प्रतियोगिता – हुंकार विषय – आग की तरह जलते सपने तहज़ीब का दुप्पटा ओढ़ना अजनबी सिखाते खुद की नज़र बेटियों के प्रति काबू न कर पाते आग की तरह जलते सपने राख हो जाते हैं हम बेटियों के ख़्वाब, ख़्वाब ही रह जाते हैं… बेटियों को उड़ान भला कौन भरने देना चाहता हमारा अपना […]
Hunkar
सीरीज -1 प्रतियोगिता-5 ‘हुँकार’ विषय- आग की तरह जलते सपने _____________________ नन्हीं आँखों मे जब भी कोई,स्वप्न पलने लगते है डगमग-डगमग चलने वाले,पांव संभलने लगते है जब छोटे-छोटे पंखो से ये,उड़ान ऊँची भरती है विषमताओं मे भी जब,गिरने से नही डरती है जब साहस की दीवारें इसकी,शिखर चूमने लगती है स्वयं सफ़लता मानो जैसे, कदम […]