अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी उस टूटी डाल का अब आसरा रहा कहाँ कोई, पंख तो है मगर उड़ने का रास्ता दिखाता कोई। नीड़ जो था कभी सपनों का, अब खंडहर हो गया, जहाँ जीवन गाता था गीत, वहाँ सन्नाटा खो गया। वो शाखें भी अब पराई सी लगती हैं उसे, हर पेड़, हर बगिया […]
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी उस टूटी डाल का अब आसरा रहा कहाँ कोई, पंख तो है मगर उड़ने का रास्ता दिखाता कोई। नीड़ जो था कभी सपनों का, अब खंडहर हो गया, जहाँ जीवन गाता था गीत, वहाँ सन्नाटा खो गया। वो शाखें भी अब पराई सी लगती हैं उसे, हर पेड़, हर बगिया […]