Tag: अल्फ़ाज़ ए सुकून

प्रतियोगिता दिल से दिल तक देखा चेहरा उसका

*टॉपिक* :- देखा चेहरा उसका प्रतियोगिता : *दिल से दिल तक* दिनाँक :- 29.09.2025 देखा चेहरा उसका तो दिन कुछ निकल जाने लगा, हर बात पर वो दिल जो उसका पिघल जाने लगा। (१) गुस्से में थोड़ी ज़्यादा ही वो नकचिढ़ी लगने लगी, बातों ही बातों मुँह फूला इश्क़ फ़िसल जाने लगा। (२) -“चंद सिफ़ारिशों […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

नमन अल्फाज-ए-सुकून🙏🏻 विषय:- “*वो तोड़ती पत्थर*” वो तोड़ती पत्थर, छाँव से कोसों दूर, पैरों में छाले, आँखों में नूर चूर। ना भाग्य लिखा, ना किस्मत का राग, हर चोट में छिपा, बेबसी का फाग। माथे पे लहराता पसीने का पहाड़, जिस पर न कोई कविता, न कोई अख़बार। चूड़ियाँ खनकती थीं अब हथौड़े में, बिंदी […]

अब यह चिड़िया कहां रहेगी

🌸 अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी 🌸 अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी, जिसके सपनों की डोर कट गई। नीड़ जला, शाखें सूनी हैं, हर दिशा की तान लुट गई। जो नभ में नाचती फिरती थी, वो ज़मीन से भी दूर हो गई। फूलों से जिसकी बातें थीं, अब पंखों की थकन बोल गई। वो बोली […]

नेता बदलते हैं नीयत नहीं

🛑 *नेता बदलते हैं, नीयत नहीं* 🛑 नेता बदलते हैं, पर मंजर वही है, वादों की चादर, भीतर जहर वही है। हर चुनाव में नया चेहरा दिखाते, पर नीयत के खेल पुराने ही रचाते। सड़क हो, पानी या राशन की बात, फाइलों में उलझे हैं जनता के हालात। सरकारी दफ्तर में समय नहीं चलता, चाय […]

मोहब्बत का राग आउट

*मोहब्बत का लॉगआउट* मोहब्बत का लॉगआउट कर दिया आज, जिससे जुड़ी थी रूह… उसे अलविदा कहा आज। न इमोज़ी, न टेक्स्ट, न कोई कॉल, बस दिल के नेटवर्क से हट गया वो हाल। जिसे बचाकर रखा हर टूट से मैंने, वो ही छोड़ गया मुझे भीड़ के इस कोने में। जो हर रोज़ मेरी सुबह […]

एक रणगाथा _ ऑपरेशन सिंदूर

✍️रचनाकार:adv. काव्य मझधार वीर रस काव्य: ऑपरेशन सिंदूर — एक रणगाथा जब क़दम बढ़े थे सिंहों के, बिजली काँप उठी थी, सीमा पर फिर भारत माता की जय गूंज उठी थी। धरती कांपी, गगन हिला, रणचंडी मुस्कुराई सिंदूर चढ़ा जब मस्तक पर, दुश्मन लहूलुहान छाई। ना था डर बम-बारूदों का, ना परवाह मौत की, हर […]

मझधार में दरख़्त

“मेरी आवाज़ , मेरी पहेचान ” शीर्षक: मझधार में दरख़्त कभी थी मैं — एक दरख़्त साया-दिल, जिसकी शाख़ों में ख़्वाब झूला करते थे, जहाँ हर पत्ता एक दुआ की सदा था, हर तना — वक़्त का खामोश गवाह था। ज़मीं की गोद में मैंने रिश्तों की जड़ें बोई थीं, बच्चों की हँसी से हर […]

दुनिया बदल डाली

समन्दर की गहराई हूं । तड़पता हुआ नगमा हूं। वक्त की पुकार हूं। खोई हुई दास्ता हूं। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मिलो दूर पत्थरो के शहर में, मिलती  है तन्हाई की लहर में, सो गया है आगोश में पल, क्यों की अब पल पल कहर में। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पलके जुकी है आज पनाह में, ख्वाहिश है आज बेपनाह में, […]

रोटी कपड़ा और मकान

विषय – रोटी कपड़ा और मकान मिलते धक्के और ताने समाज के सब सहना पड़ता हैं, गिर जाओ अगर तो फिर उठ खुद से चलना पड़ता हैं । हसेंगे सब जब तरसोगे तुम एक रोटी के लिए शिवोम, रोटी कपड़ा मकान के लिए खुद को घिसना पड़ता हैं। गुज़ारिश हैं खुदा से मेरी मुझको इतना […]