प्रतियोगिता : दिल से दिल तक ग़ालिब ” कोई महल नहीं.. टूटा-फूटा घर हो चाहे… ग़ालिब ! तस्वीर मेरी चाहे गन्दी हो, पर पल्लू से पोंछे जो, वो बस वो हो… ग़ालिब !! इत्मीनान से रख लूंगा मैं भी, जो व्रत उसका हो, चाहे जो हो… ग़ालिब ! मैं कई दिनों तक भूखा रह लूंगा, […]