मन दोस्त या दुश्मन ? जिंदगी एक सुहाना सफ़र है, खुशियाँ है,कभी यहां ग़म है… दिल है चंचल, करता बवाल, मन का कहा,दिल भी माने है… .. मन की सुनना है बहुत जरूरी, मन में दृढ़ता होना है जरूरी… मन अधीन विचार रहे प्रबल, मन है संतुष्ट, जीवन में संयम… … मन है दोस्त, मन […]
Tag: बोलती कलम
अनहोनी, एक अंदेशा
अनहोनी, एक अंदेशा किस्मत के आगे कब किसकी चलती है, इंसां है महज पुतला,बस यही कहती है… अभिलाषाये, इच्छाएं तो सब में होती है, वक़्त है कहता,उसपे किसकी चलती है… .. जीवन है संघर्ष सारी कहानियाँ कहती है, अल्फाज है सुकून,दुनियां बेरहम लगती है.. वक़्त भी है अजीब, लगाम खींच रखता है, राजा कब रंक […]
जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार
प्रकृति से छेड़छाड़ कर,कितना बदला है, कहीं पहाड़ काटे,कहीं जंगल से बर्बरता है… मानव खुद के सुकून खातिर खेल खेला है, जंगल में बसर कर, पशुओ को काटा है…. .. आधुनिकता के चक्कर में जहर उगला है, कारखानो का हरपल वायु दूषित करना है… रासायनों का प्रयोग, लालच का नतीजा है, अत्यधिक खनन कर,प्रकृति चक्र […]
कलम की धार, तलवार से तेज
कलम की धार, तलवार से तेज होती है, नतमस्तक दुनियां,आवाज गूँज उठती है… इंकलाब की लौ जला,पर्दाफास करती है, चुप रहती है और फिर कत्लेआम करती है… .. कलम गुलाम नहीं, ये तो स्वछंद चलती है, प्रेम रस, विरह रस, कभी विद्रोह करती है… प्रजातंत्र में जान फुक,उसे सशक्त करती है, कलम जबाब मांगती, ये […]
मैं समय से शिकवा नहीं कराता
में समय से शिकवा नहीं करता मैं किसी से भी गिला नहीं करता शिकायत मुझे खुद से ही है मैं किसी का बुरा नहीं करता समय से बड़ा कोई मोल नहीं समय की मगर कोई क़ीमत नहीं करता में छूट जाता हूँ पीछे जमाने मे समय है मेरा समय पर नहीं चलता वक्त वक्त की […]
मैं समय से शिकवा नहीं करता
समय का सदुपयोग करता हूं, मैं समय से शिकवा नहीं करता l समय के अनुकूल चलकर कार्य करता हूं, मैं समय से शिकवा नहीं करता l आती जाती मुश्किलों से डटकर मुकाबला करता, मैं समय से शिकवा नहीं करता l जीवन के संघर्ष को पार कर खुश होता, मैं समय से शिकवा नहीं करता l […]
अजनबी अपने ही घर में
क्यों हूं अजनबी अपने ही घर में, क्यों किसी से मिलता नहीं l क्यों एकांत वास अच्छा लगता, क्यों किसी के पास बैठता नहीं l दिल में ऐसा क्या बैठा है, जो भुलाए से भूलता नहीं l क्यों दिल ने चोट खाई, मन कहीं लगता नहीं l छोड़ा उसने एक पल में, प्यार तुम्हारा समझा […]
अजबनी अपने ही घर में..
प्रतियोगिता : बोलती क़लम विषय : अजनबी अपने ही घर में हम अजनबी अपने ही घर में हो गये, बा-ख्याल इश्क़ में यूँ बर्बाद हो गये… .. कमरे की दीवारों-दर चीखते रह गये, ख़्वाब ख़ाक हुये, हम देखते रह गये… .. उनसे क्या कहे, सोचते ही रह गये, कुछ घाव फिर यूँ, नासूर ही रह […]
अजनबी अपने ही घर मे
अजनबी अपने ही घर मे Ravikant Dushe अजनबी अपने ही घर मे हो गए सारे इल्ज़ाम मेरे ही सर हो गए न रहा कुछ भी अब मेरा यहाँ जबसे वो दिल के मालिक हो गए ये दीवारें जो कभी लगती थी अपनी सब इशारे अब पराये हो गए ये इश्क कर देता हैं बेगाना सबसे […]