Tag: बोलती कलम अल्फ़ाज़ ए सुकून

मन दोस्त या दुश्मन

हे मानव! मैं मन बस अपनी ही तुझपे मैं चलाता हूं , लोभ माया सही गलत के पहलू में तुझे फंसाता हूं , मेरी माया हैं बड़ी अनोखी मायाजाल मैं फैलाता हूं , कितने कठिन जतन करता तब मैं मन कहलाता हूं । धन बढ़ते ही तेरे पास, मैं लोभी मन बन जाता हूं , […]

मन दोस्त या दुश्मन

विषय – मन दोस्त या दुश्मन ये मन का ही तो खेल है सारा , इस मन की बातें जाने कौन , मन की चंचलता के आगे विवश हो मानव रहता मौन, कहते हैं कि सुन लो मन की जब समझ नहीं आए कुछ भी, क्यों फिर तेरे खातिर निर्णय सारे लेता कोई और …? […]

अनहोनी एक अंदेशा

विषय – अनहोनी : एक अंदेशा लफ्ज़ों से बयां हो हर बार परेशानियां जरूरी तो नहीं , कभी – कभी कोई अनकहा एहसास ही काफी होता है , कभी घबराहट सी महसूस होती है तो कभी चैन नहीं मिलता , दिल ही दिल में किसी होने वाली अनहोनी का अंदेशा होता है । एक मां […]

अनहोनी इक अंदेशा

कभी – कभी कुछ होने से पहले ही हमें पता चल जाता हैं , वक्त भी किसी ना किसी बहाने से हमें अंदेशा दे जाता हैं , किसी भी रूप में आकर हमारे अंतर्मन को हिला जाता हैं , होनी और अनहोनी के मध्य का अंतर हमें बता जाता है । एक बच्ची पूछती हैं […]

जलवायु परिवर्तन कौन जिम्मेदार

विषय – जलवायु परिवर्तन , कौन जिम्मेदार सिर्फ सवाल नहीं ललकार है ये , आधुनिकता का काला बाजार है ये , जलवायु परिवर्तन कौन जिम्मेदार , कैसी बेबस बैठी सरकार है ये …। जंगल की संपत्ति छीनी, निरीह पशुओं का घर छीन लिया, जब आए फिर वो शहरों में , तो तुम भी अब थोड़ा […]

जलवायु परिवर्तन कौन ज़िम्मेदार

कांप रही है अब सारी धरती, देख मनुज की घृणित करनी। मृदा अपरदन को मिला बढ़ावा, क्यों दूषित हो गई सारी पृथ्वी। वन संरक्षण छोड़ के हमने, वृक्षों को क्यों काट दिया। वायु प्रदूषण बढ़ा यूं ऐसे, नगरीकरण जो ठान लिया। और कुकृत्य मानव का , देख गगन भी डोल गया , फैक्ट्री और वाहनो […]

कलम की धार,तलवार से तेज

विषय – कलम की धार, तलवार से तेज जब आवाज हिला सके न सत्ता को , न हाथियार काम ही आते हैं, तो तू लिख के ऐसा फरमान भेज, रख कलम की धार , तलवार से तेज…। तिलमिला उठे ये वादे झूठे, बातें करते रहे थे जो चिकनी चुपड़ी, है वक्त आ गया जवाब का […]

मैं समय से शिकवा नहीं करती

विषय – मैं समय से शिकवा नहीं करती…. न मिला हो कहीं ठिकाना तो क्या , मैं ठोकरों से नहीं डरती, मैं बदलना जानती हूँ हालात अपने हिसाब से , तभी मैं समय से शिकवा नहीं करती…..। कौन आया था और क्या किया किसने , खुशियां दी या फिर ग़म दिया उसने , मैं बैठकर […]

मैं समय से शिकवा नहीं करता

लेकर जज्बा शिवोम नित आगे बढ़ता चुनौतियों का सामना भी डट के करता दिखाता हैं हिम्मत संघर्ष जारी रखता हा मैं समय से शिकवा नहीं करता…. अंधकार में भी रास्ता हूं मैं ढूंढ लेता दृढ़ संकल्प के साथ आगे हूं बढ़ता परिस्थिति जैसी भी हो मेरे सामने मैं कभी समय से शिकवा नहीं करता… जिंदगी […]

अजनबी अपने ही घर में

अजनबी अपने ही घर में बने बैठे हैं सब फुर्सत नहीं कि अपनों का हाल तक जाने जिसने पाला पोसा अपनी जिंदगी वार दी उसी को अपने घर में अजनबी हैं वो माने साथ बैठ दो पल बिताने की फुर्सत नहीं पैसे को ही अब सबसे बड़ा रिश्ता हैं माने अजनबी हुए जब खुद को […]