बैठे कहीं कोने में , सिमटकर अपने ही मन में, न बोला गया कुछ भी, है कैसी शांति जीवन में, चल रहा है न जाने क्या नहीं अन्दर, मगर फिर क्यों अजनबी हैं अपने ही घर में ….? सोचना है पड़ रहा कुछ कहने से पहले , वो मां – बाप हैं फिर भी बैठे […]
बैठे कहीं कोने में , सिमटकर अपने ही मन में, न बोला गया कुछ भी, है कैसी शांति जीवन में, चल रहा है न जाने क्या नहीं अन्दर, मगर फिर क्यों अजनबी हैं अपने ही घर में ….? सोचना है पड़ रहा कुछ कहने से पहले , वो मां – बाप हैं फिर भी बैठे […]