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वो तोड़ती पत्थर

प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श विषय -वो तोड़ती पत्थर वो तोड़ती पत्थर, धूप में तपती हुई, हिय के छालों पर , संघर्ष को रखती हुई, नयन नहीं रोते, मगर दिल ज़ार ज़ार रोता है, हर चोट पे हथौड़े की, जैसे कोई सपना खोता है, छाले हैं भरे हाथों में, मगर वो रुकती नहीं है, जैसे […]