विषय:- “वो तोड़ती पत्थर” जब बात बच्चों की *परवरिश* पर आ जाती है, तो *अकेली माँ* हर परिस्थिति में ढाल बन जाती है, ना कोई धूप-छांव से उसका वास्ता, ना कोई भूख-प्यास के लिए खुद की चिंता।। छोड़ दिया उस पति ने अपने पत्नी को “*अस्पताल में अकेला*”, क्यों? क्योंकि! जब उसको पता लगा उनकी […]
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वो तोड़ती पत्थर
वो तोड़ती पत्थर वो तोड़ती पत्थर — पर मन उसका न टूटा, हर वार में छिपा था सपना अधूरे लम्हों का। धूप की चादर ओढ़े, पसीने में भीगती रही, ज़िंदगी के प्रश्नों को हथौड़े से सींचती रही। न कोई प्रश्न पूछा उसने, न किसी से चाही दया, बस चुपचाप सहती रही, सहनशीलता बन गया न्याय। […]