Tag: @Alfaz E Sukun

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं

नेता बदलते हैं, नीयत नहीं हर पाँच साल में भीड़ जुटी, फिर वही वादों की पोटली खुली। चेहरे बदले, चाल वही थी, नीति-नीति कह, राजनीति चली। हाथ जोड़े, झूठे वादे, भाषणों में फिर उड़ते बादे। “हम लाएंगे परिवर्तन!” का नारा, पर फिर वही पुराना किनारा। कभी धर्म की बात चली, कभी जाति की चाल चली। […]

“न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज़”

“न्यूज़ एंकर बनाम न्यूज़” कभी अख़बार की सुर्खियों में सच्चाई सांस लेती थी, कभी न्यूज़ चैनल लोगों की आवाज़ बनते थे। आज वो आवाज़ें बिक चुकी हैं, अब खबरों की जगह ड्रामा और हंगामा परोसा जाता है। जो मुद्दे खेतों की मिट्टी और किसानों की मेहनत से उठते थे, अब वो स्टूडियो की गर्म रोशनी […]

“मोहब्बत का लॉगआउट

मोहब्बत का लॉगआउट कभी इश्क़ था इबादत, सुकून की एक दुआ, अब DP बदलना और स्टोरी डालना ही बन गया रिवाज हुआ। पलकों में सपनों का संसार अब किताबों में नहीं, बस इंस्टा रील्स में बचा है इश्क़, पर वो भी झूठी ही सही। कभी इंतज़ार की घड़ियाँ दिलों को धड़काती थीं, चिट्ठियों की ख़ुशबू […]

हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली

“हिंदुस्तान का दिल – दिल्ली” दिल है ये हिंदुस्तान का, नाम है इसका दिल्ली, हर कोना इसकी रूह में समाई कोई गहरी यादों की सिल्ली। राजाओं की रजधानी थी, बादशाहों की ये शान, जहाँ क़ुतुब की मीनारें गातीं वीरों की पहचान। कभी धूप में लाल किला, कभी छांव में जामा मस्जिद, कभी अक्षरधाम की लौ […]

Jaliyavala bag hatyakand

जब बाग में खून बरसा था…जलियांवाला चैत की दोपहर थी, उम्मीदें जवाँ थीं, धरती की छाती पर आज़ादी की दुआ थी। पर नफ़रत की नज़र ने जो बारूद बोया, जलियांवाले बाग़ में, वही मौत का साया था। ना तलवार थी, ना कोई बगावत, बस हाथों में तिरंगे की मासूम सी चाहत। माँओं की गोद, बच्चों […]

मै इंडिया गेट हूँ..

मैं इंडिया गेट हूं… मैं खड़ा हूं चुपचाप, पर मेरा हर पत्थर बोलता है, हर नाम जो मुझ पर उकेरा है, वो शहीदों की रूह टटोलता है। ना मुझे नींद आती है, ना कोई शिकायत है मुझे, मैं तो बस वतन की मिट्टी में अमरता की गवाही हूं। सांवली रातों में जब रौशनी तिरंगे की […]

हड़प्पा सभ्यता इतिहास कि एक मूक पुकार

“हड़प्पा सभ्यता – इतिहास की मूक पुकार” मैं हड़प्पा हूँ… हाँ, वही मिट्टी की दीवारों में बसी खामोशी, वही सभ्यता जिसकी ईंटें अब भी इतिहास को चुपचाप कहती हैं। मैं था जब न राजा थे, न सेनाएँ, फिर भी हर गलियों में अनुशासन था, हर मोड़ पर संस्कृति मुस्कुराती थी। न कोई स्वर्ण सिंहासन, न […]

भीगी यादों के रंग

भीगी यादों के रंग नीचे गिरे कुछ काग़ज़, कुछ रंगों में डूबे हुए, तो कुछ बारिश की बूँदों से भीगे — जैसे कोई भूली-बिसरी डायरी, जैसे किसी मासूम की अधूरी कविताएँ… हर काग़ज़ का रंग, कोई सपना है जो बचपन में पनपा, किसी ने माँ के आँचल में छुप कर नाव बनाकर पानी में बहाया […]

🌧️ “मौसम बदला, पर मन नहीं…”

“मौसम बदला, पर मन नहीं…” सावन आया है फिर से, बूंदें टपक रही हैं छतों से, कहीं भीगती हैं आशाएं, तो कहीं टपकते हैं बस छप्पर। सड़क किनारे बैठा वो बचपन, जिसे ना छत मिली, ना बस्ता, वो आज भी उसी मिट्टी में खेल रहा है, जहाँ कल कीचड़ था, और आज उम्मीदें भीग रही […]

भीगती दुआएँ और सूखे इरादे

भीगती दुआएँ और सूखे इरादे भीगती हैं दुआएँ हर रोज़ बेआवाज़, माँ की आँखों से गिरती एक चुप सी आस। वो मंदिर-मस्जिद में हाथ उठाते हैं सब, पर दिलों में छुपा फिर भी संदेह का अल्पविराम। सूखे हैं इरादे, जो कभी सागर जैसे थे, आज स्वार्थ की धूप में दरारों से भरे हैं। वो जो […]