विषय….. काव्य का आर्दश, शीर्षक…. अपना एक आशयाना, भाषा… हिंदी, कविता, शैली… स्वैच्छिक काव्य, ज्ञान, नो मार्किग… तिनका तिनका जोड़ कर, अपना एक आशयाना बना लिया, हिम्मत न हारी हूं मै, मै वो एक चिड़िया हूँ,, जिसने अपना ठिक ना बना, बहती पानी का वो किनारा, जिसे मैं ढूढ रही हूँ, वो वृक्ष पेड़ की […]
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वो तोड़ती पत्थर
प्रतियोगिता….. काव्य का आर्दश, विषय…. वो तोड़ती पत्थर, भाषा…. हिंदी, कहानी विधा….. स्वैच्छिक काव्य, ज्ञान, राउड… टू औरत की महानता है, करती है हर कार्य, धूप न देखे न छाँव न देखे, करती है हर कार्य,, तपती धूप में सुलझती, फिर भी किसी के न कुछ कहती, दिन रात व मेहनत करती, फिर भी सब […]