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मेरे हमदम मेरे मीत

कविता प्रतियोगिता:  दिल से दिल तक सीरीज: १ शीर्षक                  : “मेरे हमदम मेरे मीत ” अजनबी बनकर मिले थे दोनों आज बन बैठे हैं हमदम और मीत कुछ बातें कहनी थी आपसे जो कभी न बयां हो पाई। याद है जब पहली बार हमारी नज़रे टकराई थी फ़िर मेरी आँखें थोड़ी सी मुस्कुराई और कैसे डबडबाई थी […]

दीवाने हुए हम

प्रतियोगिता….. दिल से दिल तक विषय….. दिवाने हुए हम, दिनांक….26/9/25, दिवाने हुए हम, जब पहले नजरो का यू मिलना, हुए सिर्फ हम उनकी, एक अदा के दिवाने,, मेरी मुस्कान पे यू, चमक जब से जब बस नजर नजर का यू मिलना, आखों का सरमाना,, उनकी एक झलक के, दिवाने हुए हम, उनका बस एक अपना […]

शाह की धड़कन

*शाह की धड़कन* देखता हूँ रोज़ उन्हें, उन्हें भी खबर है, मेरी मोहब्बत से कौन अब बेखबर है दिल हार बैठा मैं, बस एक ही बार में, क़ुबूल है , मैं डूबा हूँ उसके प्यार में। आँखें उनकी समंदर, अदाएं हैं मोती, रूप से अनोखी, गुणों में है ख़ूबसूरती। वो महज़ लड़की नहीं, मेरी पहचान […]

इश्क़

प्रतियोगिता दिल से दिल तक इश्क़ न जुल्फों में मुझ को उलझाने की सोच ग़र इश्क़ है मुझ से निभाने की सोच न फ़िक्र कर किसी की न ज़माने की सोच सिर्फ़ मेरे करीब तू आने की सोच सुकून मेरी जिंदगी में लाने की सोच मेरे ज़ख्मों पे मरहम लगाने की सोच मुझ को अब […]

Zindagi ki chupal

प्रतियोगिता ५ : ज़िंदगी एक चौपाल लगती थी चौपाल जब गाँव के बाहर, जहाँ बँटते थे दुख-सुख, होते थे विचार। ज़िंदगी भी कुछ वैसी ही मालूम होती है, मेरे-तेरे दिल की, बस एक सी बात होती है। कोई यहाँ बाँटता है ख़ुशी के पल, तो कोई रहता है दुखों में हर पल। कोई “अपना” बनकर […]

Aatmsat

सीरीज 1 कविता प्रतियोगिता 4 —————————— नाम : शब्दों की माला प्रतियोगिता शीर्षक: आत्मज्ञान राउंड : एकल रचयिता : स्वाति सोनी युगों – युगों से बहती है ,जैसे गंगा की धारा नव भोर में सबसे पहला चमकता एक सितारा ऐतिहासिक खोह में खोजे नव परिवर्तन आत्मसात है आत्मजागृति,जिससे होता मंथन। निज पर शासन फिर अनुशासन […]

प्रकृति हमसे नाराज़ है

*विषय* – *प्रकृति हमसे नाराज़ है* चीख चीख कर कह रही दे रही आवाज़ है प्रकृति हमसे नाराज़ है हरियाली सारी नष्ट हुई न बचे पेड़ न डाल है समान साज सजावट का बनी पशु की खाल है शाखें वृक्षों से टूट रहीं नदियां बांधों से छूट रहीं देखो प्रकोप इस धरती का हर दिन […]

कर्म ही पूजा

*विषय* *कर्म ही पूजा* कर्म श्रृष्टि का कारक है कर्म ही कष्ट निवारक है सफलता मिलती कर्म से ही केवल कर्म ही आवक है कर्म है जीवन का हिसाब कर्म ही है खुली किताब देखा जाता पुण्य पाप किसका कितना है खराब कर्म ही भाग्य विधाता है कर्म ही धन का दाता है कर्म से […]

Karm hi puja

प्रीतियोगिता ३ : चरण फाइनल विषय : कर्म ही पूजा कर्म ही पूजा है, जिसने यह जीवन मैं अपनाया । बिना रुके बिना थमे उसने , लक्ष्य को पाया । बस अपना कर्म करते रहिए, सत्मार्ग पर चलते रहिए , सेहत बनी रहे, मन स्थिर रहे, यही तो जीवन की सही दिशा है। जिसने कर्म […]

मेहनत एक मूलमंत्र

विषय *मेहनत एक मूलमंत्र* मेहनत से जो भी कार्य करे वो जीवन का उद्धार करे मेहनत से मिले सफलता भी जो संघर्षों को पार करे मेहनत सभी में होती चाहे नौकरी या व्यापार करे सफलता उसी को मिलती है मेहनत जिसमें भी पलती है मेहनत ही मूल मंत्र है सफलता का ये ही यंत्र है […]