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कलम की धार , तलवार से तेज

प्रतियोगिता ~बोलती कलम “कलम की धार, तलवार से तेज ~ कलम की धार बहुत तेज चलती है , सीधे दिल पर आकर रुकती है , हो जाता है इसका असर बहुत गहरा अंदर से झकझोर कर रख देती है । शब्द कम पड़ते है इसकी तारीफ में , इससे लिखे लफ़्ज़ उतरते है दिल में […]

कलम की जंग तलवार से तेज

प्रतियोगिता ~बोलती कलम “कलम की जंग तलवार से तेज ~ कलम की धार बहुत तेज चलती है , सीधे दिल पर आकर रुकती है , हो जाता है इसका असर बहुत गहरा अंदर से झकझोर कर रख देती है । शब्द कम पड़ते है इसकी तारीफ में , इससे लिखे लफ़्ज़ उतरते है दिल में […]

कलम की धार, तलवार से तेज़

कलम की धार, तलवार से तेज़ लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात, साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात। कलम की धार की बात ही निराली है, जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है। दिल के शोर का हुंकार है कलम, अपनों के लिए एक पुकार है कलम। इसकी धार से तलवार […]

Mai samy se shikwa nhi krti

प्रतियोगिता- बोलती कलम मैं समय से शिकवा नहीं करती रात के अंधेरों से कहाँ है डरती बात – बात पर कहाँ है लड़ती……. समय का वह पहिया, जो जीने की राह पर चलती, तर्जूबा मिला है जिंदगी से जो बड़ते कदम को ना रोक पाती….. मुश्किलें चाहें लाख आती, जिंदगी कहाँ आसान हो पाती, सूर्य […]

मैं समय से शिकवा नहीं करता

टॉपिक:-मैं समय से शिकवा नहीं करता मैं समय से शिकवा नहीं करती, हर पल को जीने की कोशिश करती हूँ। बीतते लम्हों को रोक नहीं सकती, पर उन्हें यादगार बनाने की कोशिश करती हूँ। समय की चाल को बदल नहीं सकती, पर अपनी सोच को बदलने की कोशिश करती हूँ। वक्त की मार को सहन […]

मैं समय से शिकवा नही करती ,

प्रतियोगिता ~ बोलती कलम विषय ~ मैं समय से शिकवा नही करती , ऐ ज़िंदगी पा लिया है सबकुछ मैंने चाहें था वो प्रतिकूल वक्त मेरा , किया है सामना हर परिस्थितियों का वो समय था बड़ा ही सख्त मेरा । जीवन के सफर में हर पड़ाव की मुश्किलों को हँसकर पार किया , कुछ […]

मैं समय से शिकवा नहीं करती

न शिकायत खुद से है और न ही किसी ओर से जब वक्त नहीं मददगार, तो क्या गिला किसी से दर्द तो मुझको मिला है, फिर क्यों होना रुसवा किसी से किया नहीं है शिकवा किसी से, न तुमसे और न ही खुदा से जब से उसका साथ छूटा, दिल से एहसास है टूटा मैं […]

अजनबी अपने ही घर में

अपनी डफली, अपना राग, अपना ही सबका बजता साज। देख के सब अपनों को लगता, अपनी भी परिवार है खुशहाल। पर झूठी निकली सारी बात, किसे कहें और किसे बताएं। ये सब तो है एक नकली ढाल, जहां नहीं कोई अपना पर करते अपनी बात। अपने ही घर में अजनबी से हम, किसे कहें हम […]

अज़नबी अपने ही घर मे

अजनबी अपने ही घर में अजनबी अपने ही घर में हो गए अपने नाजाने किस दुनिया में खो गए…… इंटरनेट ने सभी को एक तरफा कर दिया ,घर घर की कहानी में सब को आइना दिखा दिया….. हर कोई फोन का दिवाना बना दिया रीयल को छोड़ कर, “बनावटी” को सच्चाई मान लिया..… वियोज व […]

अजनबी अपने ही घर में

टॉपिक:- “अजनबी अपने ही घर में ” मैं अपने ही घर में अजनबी हूँ, जहां प्यार और स्नेह होना चाहिए था। अनजान चेहरों के बीच, मैं खुद को खोया हुआ पाती हूँ। दरवाजे खुले हैं, पर दिल बंद हैं, संवादहीनता की दीवारें हैं। प्यार की जगह, अब दूरियां हैं, और मैं अजनबी हूँ, अपने ही […]